श्चुत्व व्यंजन सन्धि (स्तोः श्चुना श्चुः) और ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) की परिभाषा, नियम तथा उदाहरण
श्चुत्व व्यंजन सन्धि (स्तोः श्चुना श्चुः) की परिभाषा
श्चुत्व व्यंजन सन्धि का विधायक सूत्र है- स्तोः श्चुना श्चुः।८.४.४०।। सकारतवर्गयोः शकारचवर्गाभ्यां योगे शकारचवर्गौ स्तः। अर्थात् यदि सकार और तवर्ग के साथ शकार और चवर्ग का योग हो तो वहां श्चुत्व व्यंजन सन्धि से शकार और चवर्ग हो जाता है। उदाहरण - रामश्शेते, सच्चित्, शार्ङ्गिङ्गिञ्जयः।
श्चुत्व व्यंजन सन्धि के नियम तथा उदाहरण
1. श्चुत्व व्यंजन सन्धि के नियम के अनुसार यदि स् वर्ण के बाद श् या चवर्ग(च, छ,ज,झ,ञ) आये तो, इन के स्थान पर श् वर्ण आदेश होगा।
उदाहरण -
मनस् + चञ्चलम् = मनश्चञ्चलम् (स्+ च= श्)
श्यामस् +छात्रः= श्यामश्छात्रः (स्+चवर्ग का छ =श्)
2. स्तोः श्चुना श्चुः सूत्र के नियम के अनुसार तवर्ग (त,थ,द,ध,न) के बाद यदि श् वर्ण या चवर्ग आता है तो तवर्ग का चवर्ग हो जाता है।
उदाहरण -
तवर्ग+ श् या चवर्ग= चवर्ग
तत्+छविः = तच्छविः
श्चुत्व व्यंजन सन्धि (स्तोः श्चुना श्चुः) के नियम का अपवाद
यदि पूर्व पद में तालव्य श् वर्ण आया हो और उसके बाद तवर्ग हो तो वहां पर शात्।८.४.४४। इस सूत्र से श्चुत्व व्यंजन सन्धि (स्तोः श्चुना श्चुः) नहीं होगी।
उदाहरण -
विश्+ नः = विश्नः (गति या भाषण)
प्रश्+नः = प्रश्नः
श्चुत्व व्यंजन सन्धि (स्तोः श्चुना श्चुः) के उदाहरण
स्+श् या चवर्ग = श्
१. शिशुस् + शेते = शिशुश्शेते (स्=श्)
२. बालकस् + शेते = बालकश्शेते (स्=श्)
३. कस् + चित् = कश्चित् (स्=श्)
४. सूर्यस् + छन्नः = सूर्यश्छन्नः (स्=श्)
५. दुस् + चरित्रम् = दुश्चरित्रम् (स्=श्)
६. निस् + चयः = निश्चयः (स्=श्)
तवर्ग+ श् या चवर्ग = चवर्ग
१. सत् + चित् = सच्चित् (त्=च्)
२. सुहृद् + जगाम = सुहृज्जगाम (द्=ज्)
३. महत् + चित्रम् = महच्चित्रम् (त्=च्)
४. सत् + नारी = सन्नारी (त्=न्)
५. तद् + जयः = तज्जयः (द्=ज्)
चवर्ग+तवर्ग= चवर्ग
१. यज् + नः = यज्ञः (ज्=न्)
२. याच् + ना = याच्ञा
ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) की परिभाषा
ष्टुत्व व्यंजन सन्धि का सूत्र है- ष्टुना ष्टुः। ८.४.४१। अर्थात् स्तोः ष्टुना योगे ष्टुः स्यात्। जब स वर्ण या तवर्ग (त,थ,द,ध,न) के बाद ष वर्ण या टवर्ग (ट,ठ,ड,ढ,ण) का कोई वर्ण आता है, तो स वर्ण के स्थान पर ष वर्ण तथा तवर्ग के स्थान पर क्रमशः टवर्ग हो जाता है। यथा - रामष्षष्ठ, तट्टीका।
सकारस्य षकारटवर्गाभ्यां योगे सकारस्य षकारः, तवर्गस्य षकारटवर्गाभ्यां योगे तवर्गस्य क्रमागतः चवर्गः आदेशः भवति।
ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) के नियम तथा उदाहरण
ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) के नियम अग्रलिखित हैं-
1. यदि स् के बाद ष् या टवर्ग (ट,ठ,ड,ढ,ण) आता है तो स् वर्ण के स्थान पर ष् वर्ण हो जाता है।
उदाहरण-
रामस् + षष्ठ = रामष्षष्ठ। (स्+ ष् =ष)
रामस् + टीकते = रामष्टीकते। (स्+ ट= ट)
2. यदि तवर्ग के बाद टवर्ग आता है तो तवर्ग का टवर्ग हो जायेगा।
उदाहरण-
तत् + टीका = तट्टीका (त्+ ट= ट)
उत् + डयन = उड्डयन (त्+ ड्= ड्)
3. यदि ष् वर्ण के बाद तवर्ग आता है तो तवर्ग के स्थान पर टवर्ग हो जाता है।
उदाहरण -
इष् + तः = इष्टः (ष्+त् = ट)
कृष् + नः = कृष्ण (ष्+न्=ण्)
4. यदि टवर्ग के बाद तवर्ग आता है तो तवर्ग का टवर्ग हो जायेगा।
उदाहरण -
षट् + नवतिः = षण्णनवतिः। (ट्+न्=ण्)
षड् + नाम् = षण्णाम् (ड्+न =ण्)
ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) के उदाहरण
स् + ष् / टवर्ग = ष्
१. धनुस् + टंकार = धनुष्टंकार (स् = ष्)
२. बालस् + षष्ठ = बालष्षष्ठ (स् = ष्)
तवर्ग + टवर्ग = टवर्ग
३. तत् + डमरू = तड्डमरू (त् = ड्)
४. सत् + टिप्पणी = सट्टिप्पणी (त् = ट)
५. बृहत् + टंकशाला = बृहट्टंकशाला (त् = ट)
ष् + तवर्ग = टवर्ग
६. आकृष् + तः = आकृष्ट (त् = ट्)
७. तुष् + तः = तुष्टः (त् = ट्)
८. चक्रिन् +ढौकसे = चक्रिणढौकसे (न् = ण)
९. पेष् + ता = पेष्टा (त् = ट्)
१०. दुष् + तः = दुष्टः (त् = ट्)
ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) के नियम के अपवाद
1. यदि पूर्वपद के अन्तिम वर्ण टवर्ग (ट,ठ,ड,ढ,ण) से परे नाम को छोडकर सवर्ण और तवर्ग (त,थ,द,ध,न) हो तो न पदान्ताट्टोरनाम्'।८.४.४२।। को ष् और टवर्ग नहीं होगा।
उदाहरण -
षट् + सन्तः = पट् सन्तः।
षट् + ते = षट् ते।
2. यदि तवर्ग के किसी वर्ण के बाद ष् आता है तो वहाँ पर तो षि'।८.४.४३।। सूत्र से ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) का ष् नहीं होगा।
उदाहरण -
भवान् +षष्ठ = भवान् षष्ठ।
सन्धि और स्वर सन्धि पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।
3. व्यंजन सन्धि
श्चुत्व व्यंजन सन्धि (स्तोः श्चुना श्चुः) और ष्टुत्व व्यंजन सन्धि (ष्टुना ष्टुः) के विषय पर अपने विचार कमेंट्स के रूप में जरूर प्रस्तुत करें।