माता पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित Sanskrit Shloka On Mother With Hindi Meaning मातृ दिवस पर संस्कृत श्लोक

 माता पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित (Sanskrit Shloka On Mother With Hindi Meaning)

माता पर संस्कृत श्लोक वेदों, पुराणों, समृतियों, महाकाव्य में भरे पडे हैं। वहां से उद्धृत किये गये संस्कृत श्लोक, इस लेख में मातृ दिवस के शुभ अवसर पर माता पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित (Sanskrit Shloka On Mother With Hindi Meaning) दिये गये हैं। माता पर ही प्रकृति निर्भर है। यदि संसार में माँ (माता, Mother) नहीं तो सम्पूर्ण प्रकृति का अस्तित्व ही नहीं है

माता पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित Sanskrit Shloka On Mother With Hindi Meaning
(sanskrit shloka on mother

माता पर संस्कृत श्लोक, Sanskrit Shloka On Mother

मातुर्लोके मार्दवं साम्यशून्यम्।

माँ की सहृदयता संसार में बेमिसाल है।

1. मातृ देवो भवः। तैत्तिरीयोपनिषद् . शिक्षावल्ली. ११.२

माता ही इस संसार की देवता है। 

Mother is the deity of this world.

2. नास्ति मातृसमो गुरुः। महा. अनुशा. १०५.१४

इस संसार में माँ के समान कोई गुरु नहीं है।

There is no teacher like mother in this world.

माँ पर संस्कृत श्लोक (sanskrit shloka on mother)

3. गुरूणां चैव सर्वेषां माता परमेको गुरुः।। महा. आदि. १९५.१६

माता (माँ) सभी गुरूओं में सर्वश्रेष्ठ गुरु मानी जाती है।

Mata (mother) is considered the best teacher among all teachers.

4. गुरूणां माता गरीयसी।। चा.सू. ३६२

माता (माँ) सभी गुरुओं में सर्वश्रेष्ठ है।

Mata (mother) is the best of all teachers.

5. सहस्रं हि पितुर्माता गौरवेणातिरिच्यते।। बालरामायण ४.३०

महत्व (गौरव) की दृष्टि से माँ (माता) पिता से हजार गुना श्रेष्ठ है।

Mother (Mata) is thousand times superior to father in terms of importance (pride).

6. माता गुरुतरा भूमेः।। महा. वन. ३१३.६०

माता, भूमि से भी गुरुतर (भारी) है।

Mother is heavier (heavier) than the earth.

सम्पूर्ण विश्व में पृथ्वी को सबसे गुरु या भारी माना जाता है परन्तु माता गौरव पृथ्वी से भी श्रेष्ठ है।

मातृ-दिवस पर संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlok on Mother's Day With Hindi Meaning 

मातृ दिवस पर संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlok on Mother's Day)। प्रत्येक वर्ष मातृ दिवस (Mother's Day) मई माह के द्वितीय रविवार को मनाया जाता है बहुत से देशों में 8 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन  मातृ दिवस (Mother's Day) मानते हैं मातृ दिवस पर संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlok on Mother's Day) पर निम्नांकित हैं -


7. नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।

        नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रिया।। महा. शान्ति. २६६.३०

माता से बढ़कर इस संसार में कोई सहारा नहीं है माँ की छाया में ही जीवन का सुख है और कोई माँ के समान जीवन की रक्षा नहीं कर सकता है तथा माँ के समान इस संसार में कोई प्रिय वस्तु नहीं है।


8. मातृलाभे सनाथत्वमनाथत्वं विपर्यये।।

माता के जीवित या साथ रहने पर हर कोई अपने आप को सनाथ अनुभव करता है। माँ के साथ न रहने पर वह अनाथ हो जाता है।


9. न स्वेच्छया क्षणमपि माता पुत्रं रहयति।

यद्वत्सुपुत्रभवति तद्वत्कुपुत्रकमपि।।

माता अपनी इच्छा से तनिक भी अपने पुत्र का परित्याग नहीं करती है। माता जिस प्रकार सुपुत्र का भरण-पोषण और रक्षा करती है, उसी प्रकार कुपुत्र का भी भरण-पोषण और रक्षा करती है।

जननी पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ और अंग्रेजी अर्थ सहित (Sanskrit Shloka on Janani with Hindi meaning and English meaning)

जन्म देने वाली माँ को जननी भी कहा जाता है। जननी पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ एवं अंग्रेजी अर्थ सहित (Sanskrit Shloka on Janani with Hindi meaning and English meaning) इस प्रकार हैं-

10. जननात् जननी स्मृता।

जन्म देने के कारण माता को जननी कहते है।

Because of giving birth, mother is called Janani.


11. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।

Mother and birthplace are better than heaven.


12. माता जानाति यद्गोत्रं माता जानाति यस्य सः।

मातुर्भरणमात्रेण प्रीतिः...............।।महा. शान्ति. २६६.३५

पुत्र का गोत्र क्या है तथा उसका पिता कौन है, यह सब माता ही जानती है। गर्भ में धारण करने के कारण माता ही पुत्र से अधिक प्रेम करती है।

13. दश चैव माता सर्वां वा पृथिवीमपि।

              गौरवेणाभिभवति नास्ति मातृसमो गुरुः।। महा.अनु. १०५.१५

माता का गौरव (महत्व) दश पिताओं से भी अधिक होता है। माँ के गौरव के सामने पृथिवी का गौरव न्यूनतम है। माता के समान इस संसार में कोई गुरु नहीं है।


14. माता गरीयसी यच्च तेनैतां मन्यते जनः।महा.अनु१०५.१६

माता  का गौरव सर्वाधिक है इसलिए संसार के लोग माँ का आदर करते है।

Mother's pride is the highest, so people of the world respect mother.


15. मातुर्या भगिनी ज्येष्ठा मातुर्या च यवीयसी।

मातामही च धात्री च सर्वास्ता मातरः समृताः।। 

माँ की छोटी और बड़ी बहनें, नानी और धाय ये सब माँ तुल्य हैं। माता के समान ही इनका आदर करना चाहिए।

16. कुक्षिसंधारणाद् धात्री जननाज्जननी स्मृता।

        अङ्गानां वर्धनादम्बा वीरसूत्वेन वीरसूः।। महा शान्ति २६६.३२

पुत्र को गर्भ में धारण करने के कारण माता धात्री कहलाती है। जन्म देने के कारण माँ जननी कहलाती है। पालन-पोषण करने के कारण माता अम्बा कहलाती है और सुयोग्य वीर को जन्म देने के कारण माँ वीरसू कहलाती है।


17. यो ह्यं मयि संघाते मर्त्यत्वे पाञ्चभौतिकः।

            अस्य में जननी हेतुः पावकस्य यथारणिः।।  महा शान्ति२६६.२५

मनुष्य को जो यह पांचभौतिक शरीर प्राप्त हुआ है, इसे माँ ने वैसे ही बनाया है जैसे अरणि से आग बनती है।



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