Seasonal Diet according to Ayurveda Sanskrit Shlok and Hindi meaning ऋतुचर्या आयुर्वेद के अनुसार मौसमी आहार संस्कृत श्लोक और हिंदी अर्थ

Seasonal Diet according to Ayurveda Sanskrit Shlok and Hindi meaning ऋतुचर्या आयुर्वेद के अनुसार मौसमी आहार संस्कृत श्लोक और हिंदी अर्थ

Seasonal Diet according to Ayurveda आयुर्वेद के अनुसार मौसमी आहार मनुष्य के जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मनुष्य जीवन में स्वस्थ रहना ही परमसुख माना गया है, जिसके लिए ऋतुचर्या (प्रत्येक ऋतुओं में मनुष्य की दिनचर्या) का पालन करना अनिवार्य है तथा  Seasonal Diet according to Ayurveda आयुर्वेद के अनुसार मौसमी आहार करना अति आवश्यक है।  मौसमी आहार या ऋतुचर्या का मतलब है कि किस ऋतु में कैसी दिनचर्या होनी चाहिए और किस प्रकार का खान-पान होना चाहिए। आचार्य चरक ने अपने आयुर्वेद ग्रन्थ चरकसंहिता में  ऋतुचर्या अर्थात् मनुष्य की दिनचर्या का विस्तृत वर्णन किया है। 

छः ऋतुओं के नाम Names of six seasons

भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार ऋतु छः होती है, जिनके नाम इस प्रकार हैं-
वसन्त ऋतु,  ग्रीष्म ऋतु,  बर्षा ऋतु,  शरद ऋतु,  हेमन्त ऋतु और शिशिर ऋतु। प्रत्येक ऋतु का अपना महत्व है। भारत के प्रसिद्ध चिकित्सा-ग्रन्थ चरकसंहिता में मनुष्य के लिए प्रत्येक ऋतुओं में स्वास्थ्य सम्बन्धी आहार के बारे में बताया गया है, उनमें से कुछ संस्कृत श्लोक  हिन्दी अर्थ सहित निम्नलिखित हैं-
ऋतुचर्या आयुर्वेद के अनुसार मौसमी आहार संस्कृत श्लोक और हिंदी अर्थ
charaksanhita-ritucharya


ऋतुचर्या संस्कृत श्लोक और हिंदी अर्थ   Sanskrit Shlok and Hindi Maning


वसन्त ऋतु

संस्कृत श्लोक  
वसन्ते निचितः श्लेष्मा दिनकृद्भाभिरीतितः।
कायाग्निं बाधते रोगास्ततः प्रकुरुते बहून्।।
हिन्दी अर्थ

    सञ्चित हुआ कफ अर्थात् हेमन्त ऋतु और शिशिर ऋतु में शरीर में संचित हुआ कफ वसन्त ऋतु के आने पर सूर्य की किरणों से शरीर में फैलता है, जिससे शरीर की भोजन पचाने वाली शक्ति जठराग्नि मन्द होकर बहुत से रोगों को उत्पन्न करती है।

संस्कृत श्लोक

तस्माद्वसन्ते कर्माणि वमनादीनि कारयेत्। 
गुर्वम्लस्निग्धमधुरं दिवास्वप्नं च वर्जयेत्।।

हिन्दी अर्थ

शरीर में कफ का प्रभाव बढ़ जाने के कारण वसन्त ऋतु में उस कफ की शांति के लिए वमन आदि कार्य करने चाहिए। वसंत ऋतु में  गरिष्ठ, अम्लीय, चिकनाई युक्त भोजन नहीं करना चाहिए और दिन में सोना वर्जित करना चाहिए।

ग्रीष्म ऋतु

संस्कृत श्लोक
मयूखैर्जगतः स्नेहं ग्रीष्मे पेपीयते रविः।
स्वादु शीतं द्रवं स्निग्धमन्नपानं तदा हितम्।।

हिन्दी अर्थ

ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की किरणों द्वारा संसार के स्नेह वसा को सोखता है। अतः ग्रर्मी से बचाव के लिए मनुष्य को स्वादिष्ट शीतल द्रवों का सेवन करना चाहिए और स्नेह की आपूर्ति के लिए वसायुक्त खान-पान का सेवन हितकारी होता है।

संस्कृत श्लोक
घृतं पयः सशाल्यन्नं भजन् ग्रीष्मे न सीदति।
लवणाम्लकटूष्णानि व्यायामं च विवर्जयेत्।।

हिन्दी अर्थ

ग्रीष्म ऋतु में घी, दूध, और चावल युक्त सेवन करना चाहिए। इससे मनुष्य को कोई कष्ट नहीं होता है। नमकीन, अम्लीय, कटु और चटपटे आदि खाद्यपदार्थ नहीं खाने चाहिए तथा व्यायाम से बचना चाहिए।

वर्षा ऋतु

संस्कृत श्लोक
भूवाष्पान्मेघनिस्यन्दात् पाकादम्लाज्जलस्य च।
वर्षास्वग्निबले क्षीणे कुप्यन्ति पवनादयः।।

हिन्दी अर्थ

वर्षा ऋतु में अत्यधिक बर्षा होने के कारण भूमि में अधिक पानी रहता है जो वाष्प रुप में बदलकर बादल बनता है तथा बादल से जल और जल का अम्लविपाक होने के कारण शरीर की अग्नि क्षीण हो जाती है, जिससे वात सम्बन्धी रोगों की अधिकता हो जाती है।

संस्कृत श्लोक

व्यक्ताम्ललवणस्नेहं वातवर्षाकुलेऽहनि।
विशेषशीते भोक्तव्यं वर्षास्वनिलशान्तये।।


हिन्दी अर्थ

वर्षा ऋतु में अधिक बारिश होने के कारण तेज एवं ठण्डी हवा चलती है, जिससे शीत रोगों में वृद्धि होती है। अतः शीतवायु की शान्ति के लिए अम्लीय, लवणयुक्त और तेलयुक्त भोजन करना चाहिए।


शरद ऋतु

संस्कृत श्लोक
वर्षाशीतोचिताङ्गानां सहसैवार्करश्मिभिः।
तप्तानामाचितं पित्तं प्रायः शरदि कुप्यति।।

हिन्दी अर्थ
वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा होने के कारण मनुष्य का शरीर ठण्डा रहता है और शरद ऋतु में वह शरीर ज्यादा शीत हो जाता है। जिसे शरीर का पित्त ठण्डा शान्त रहता है, परन्तु सूर्य की किरणें पडने के कारण मनुष्य के शरीर में विद्यमान पित्त शरद ऋतु में कुपित हो जाता है।

संस्कृत श्लोक
तथान्नपानं मधुरं लघु शीतं सतिक्तकम्।
पित्तप्रशमनं सेव्यं मात्रया सुप्रकाङ्क्षितैः।।

हिन्दी अर्थ

शरद ऋतु में तेज भूख लगने पर मधुर, हल्का अर्थात् जो गरिष्ठ न हो, शीतल गुणवाला, तिक्त रसवाला, अन्य पित्त को शान्त करने वाले भोज्य पदार्थ आवश्यकता अनुसार खाने चाहिए।


संस्कृत श्लोक

शारदानि च माल्यानि वासांसि विमलानि च।
शरत्काले प्रशस्यन्ते प्रदोषे चेन्दुरश्मयः।।
हिन्दी अर्थ
शरद ऋतु में पुष्प माला धारण करनी चाहिए, साफ एवं स्वच्छ वस्त्र पहने चाहिए तथा रात्रि में चन्द्रमा के प्रकाश का सेवन करना चाहिए। यह शरद ऋतु में स्वास्थ्य के लिए उत्तम बताया गया है।

हेमन्त ऋतु 

संस्कृत श्लोक
गोरसानिक्षुविकृतीर्वसां तैलं नवौदनम्।
हेमन्तेऽभ्यस्यतस्तोयमुष्णं चायुर्न हीयते।।
हिन्दी अर्थ
हेमन्त ऋतु में मनुष्य को दूध से बने पदार्थ दही, मलाई, घी, रबडी़ आदि, गन्ने के रस से निर्मित गुड़, चीनी, खॉड, मीश्री आदि, तेल और चावलों से निर्मित खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए तथा स्नान और पीने में गर्म पानी का प्रयोग करना चाहिए। इससे मनुष्य की आयु में वृद्धि होती है।

संस्कृत श्लोक
वर्जयेदन्नपानानि वातलानि लघूनि च।
प्रवातं प्रमिताहारमुदमन्थं हिमागमे।।
हिन्दी अर्थ
हेमन्त ऋतु के प्रारम्भ में  वातवर्द्धक, हल्का भोजन अर्थात् अल्पाहार एवं जौ से निर्मित भोज्यपदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।


शिशिरः ऋतु

संस्कृत श्लोक
हेमन्तशिशिरौ तुल्यौ शिशिरेऽल्पं विशेषणम्।
रौक्ष्यमादानजं शीतं मेघमारुतवर्षजम्।।
हिन्दी अर्थ
 
हेमन्त ऋतु और शिशिर ऋतु दोनों समान होती हैं। किन्तु शिशिर में थोड़ी सी विभन्नता है कि खाने-पीने से उत्पन्न रूखापन, मानसूनी वायु एवं वर्षा के कारण शीतलता अधिक होती है।

संस्कृत श्लोक
तस्माद्धैमन्तिकः सर्वः शिशिरे विधिरिष्यते।
निवातमुष्णं त्वधिकं शिशिरे गृहमाश्रयेत्।।
हिन्दी अर्थ
दोनों ऋतुओं हेमन्त और शिशिर की समानता के कारण एक ही विधि का प्रयोग करना चाहिए। शिशिर ऋतु में गर्म एवं कम वायु वाले घरों में निवास करना चाहिए।

संस्कृत श्लोक
कटुतिक्तकषायाणि वातलानि लघूनि च।
वर्जयेदन्नपानानि शिशिरे शीतलानि च।।
हिन्दी अर्थ
शिशिर ऋतु में कडवे, तीखे, कसैले, वातवर्द्धक, हल्के और ठण्डे भोजन एवं पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

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