Puranon ki sankhya पुराणों की संख्या
पुराणों की संख्या के सम्बन्ध में यद्यपि सभी विद्वान मतैक्य नहीं हैं फिर भी सर्वसम्मत से पुराणों की संख्या अठारह (18) मानी जाती है। एक सूक्ति में पुराणों की संख्या के विषय में कहा गया है कि अठारह पुराणों के कर्त्ता सत्यवती सुतः कृष्णद्वैपायन महर्षि वेद व्यास हैं-
अष्टादशपुराणानां कर्त्ता सत्यवती सुतः।।
अठारह पुराणों के नाम Ashtadash Puranon ke Name
अठारह पुराणों के नाम विभिन्न पुराणों में दिये गये हैं महर्षि कृष्णद्वैपायन व्यास जी ने जो अष्टादश पुराणों की संख्या बताई है , अष्टादश पुराणों के नाम की गणना निम्न श्लोक में की गई है-
मद्वयं भद्वयं ब्रत्रयं वचतुष्टयम्।
अ-ना-प-लिङ्ग-क्रू-स्कानि पुरणानि विदुर्बुधाः।।
उक्त श्लोक में प्रत्येक पुराण के प्रथम वर्ण का प्रयोग किया गया है यथा
मकारादि दो पुराण - १. मत्स्य २. मार्कण्डय।
भकारादि दो पुराण - ३. भविष्य पुराण ४. भागवत पुराण ।
ब्र युक्त तीन पुराण - ५. ब्रह्माण्ड पुराण ६. ब्रह्मवैवर्त पुराण ७. ब्रह्म पुराण।
वकारादि चार पुराण - ८. वराह पुराण ९. वामन पुराण १०. वायु पुराण ११. विष्णु पुराण
अ से - १२.अग्नि पुराण
ना से - १३. नारद पुराण
प से - १४. पद्म पुराण
लिं से - १५. लिङ्ग पुराण
ग से - १६. गरूड़ पुराण
कू से - १७. कूर्म पुराण
स्क से - १८. स्कन्ध पुराण
ये ही अठारह पुराणों की संख्या है तथा इन्हीं को महापुराण कहा जाता है।
पुराणों का त्रिधा विभाग
सत्व, रज और तम गुण के आधार पर ये अठारह पुराण भी तीन प्रकार अर्थात त्रिधा विभाजित हैं। इन गुणों के आधार पर कुछ पुराण सात्विक हैं, कुछ पुराण राजस हैं और कुछ पुराण तामस हैं।
सात्विक पुराण
वैष्णवं नारदीयं च तथा भागवतं शुभम्।
गारुडञ्च तथा पाद्मं वाराहं शुभदर्शने।
सात्विकानि पुराणानि विज्ञेयानि शुभानि वै।
सात्विक पुराण विष्णु पुराण, नारदपुराण, भागवत पुराण, गरूड़ पुराण, पद्मपुराण, वराहपुराण हैं।
राजस पुराण
ब्रह्माण्डं ब्रह्मवैवर्तं मार्कण्डेयं तथैव च।
भविष्यं वामनं ब्राह्मं राजसानि निवोधत।।
राजस् पुराण ब्रह्माण्ड पुराण, ब्रह्मपुराण, मार्कण्डेयपुराण, भविष्यपुराण, वामनपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण हैं।
तामस पुराण
मात्स्यं कौर्मं तथा लैङ्गं शैवं स्कान्दं तथैव च।
आग्नेयं च षडेतानि तामसानि निबोधत।।
मत्स्यपुराण, कुर्मपुराण, लिङ्गपुराण, शिवपुराण, स्कन्दपुराण, अग्नि पुराण ये तामस पुराण बताये गये हैं।