Puran ka arth पुराण का अर्थ
पुरा नियते इस अर्थ में पुरा इस अव्यय पूर्वक णीञ्-प्रापणे, इस धातु से ड प्रत्यय करने पर पुराण यह शब्द सिद्ध होता है।
निरुक्तकार यास्क मुनि का कहना है कि- पुराणं कस्मात? पुरा नवं भवतीति। अर्थात अतीत काल या पुरा काल में भी नवीन होता है। इस प्रकार यद्यपि यह शब्द पुरातन-प्राचीन आदि अर्थों का वाचक है तथापि पुराण में सर्वदा नवीनता रहती है।
पुराणों में पुराण का अर्थ
वायुपुराण- पुरा परम्परां वक्ति पुराणं तेन वै समृतम्। अर्थात जिन ग्रन्थों में प्राचीन परम्परा का वर्णन मिलता है वे पुराण है।
पद्मपुराण- 'पुरार्थेषु आनयतीति पुराणम्'। अर्थात प्राचीन अर्थ को बताने वाले काव्य पुराण है।
ब्रह्माण्डपुराण - 'पुरा एतदभूदिति पुराणम्'। प्राचीन घटनाओं का वर्णन करना ही पुराण कहलाता है।
मत्स्यपुराण - 'पुरातनस्य कल्पस्य पुराणानि विदुर्बुधाः'।
महाभारत- 'पुराणमाख्यानं पुराणं'। अर्थात प्राचीन आख्यान ही पुराण हैं।
संस्कृत विद्वानों के अनुसार पुराण का अर्थ
सायणाचार्य- पुराणं पुरातनवृत्तान्तकथनरूपमाख्यानम्'। अथवा जगतः प्रागवस्थामनुक्रम्य सर्गप्रतिपादकं वाक्यजातं पुराणम्। अर्थात विश्व की उत्पत्ति,विकास आदि का विवरण जिन ग्रन्थों में है वे पुराण हैं।
महर्षि पाणिनिः - पुराभवमिति पुराणम्'। अर्थात को पहले की घटनाएं हैं वह पुराण है।
यास्क - 'पुरा नवं भवति'। अर्थात प्राचीन होने पर भी जिसमें नवीनता रहती है वह पुराण हैं।
मधुसूदन सरस्वती - 'विश्वसृष्टेरितिहासः पुराणम्'। अर्थात विश्व सृष्टि का इतिहास ही पुराण है।
राजशेखर - 'वेदाख्यानोपनिबन्धप्रायं पुराणम्'। अर्थात वेद आख्यानों का वर्णन करने वाले ग्रन्थ ही पुराण है।
संक्षेप में कह सकते हैं कि प्राचीन भारतीय संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान-विज्ञान, धर्म, पुरुषार्थ आदि का वर्णन जिस साहित्य में प्राप्त होता है, वह साहित्य पुराण है।