Hindu Nav Varsh (हिन्दू नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , चैत्र नवरात्रि) Chaitr Navratri की शुभकामनाएं पर संस्कृत श्लोक

हिन्दू नववर्ष (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) 2079 एवं चैत्र नवरात्रि पर संस्कृत श्लोक शुभकामना  सन्देश एवं   Hindu Nav Varsh (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) ewm Chaitr Navratri Par Sanskrit Shlok ewm Shubhakamana Sandesh.

हिन्दू नववर्ष प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मनाया जाता है| इस समय हिन्दू नववर्ष 2अप्रैल 2022 को है। इसी दिन से विक्रमसंवत 2079 शुरू हो जायेगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा चैत्रमास और वसंत ऋतु  में आता है | वसंत ऋतु में प्रकृति का सौन्दर्य अत्यधिक मनोहर रहता है, इस ऋतु में सम्पूर्ण वृक्ष एवं लताएँ पल्लवित और पुष्पित होती हैं तथा इस ऋतु में मधुर रस पर्याप्त मात्रा में मिलता है |ब्रह्माण्ड पुराण में कहा गया है कि हिन्दू नव वर्ष अर्थात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि का शुभारंभ हुआ था| इस दिन से चैत्रमास के नवरात्रि भी शुरू होते हैं।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को वर्ष प्रतिपदा भी कहा जाता है | वर्ष प्रतिपदा का अर्थ वर्ष का पहला दिन है, इसी दिन से नव संवत्सर अर्थात विक्रम संवत  का प्रारम्भ होता है। 
।।आप सभी को हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।।

चैत्रसितोदेरुदयात् भानोर्दिनमासवर्षकल्पा:|

सृष्टयौदोलकायां समं प्रवृता दिनेर्कस्य:|| 

हिन्दू नववर्ष (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) एवं चैत्र नवरात्रि पर संस्कृत श्लोक के द्वार शुभकामना सन्देश भेजें। Hindu Nav Varsh (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) ewm Chaitr Navratri Par sanskrit shlok ewm Shubhakamana Sandesh bhejen.
।।हिन्दू नववर्षस्य शुभाशयाः।।

।।भवतां जीवने अस्मिन् नववर्षे नवहर्षं भवेत्।।

हिन्दू नववर्ष (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) की शुभकामना पर संस्कृत श्लोक 

वर्षे हर्षे प्रकर्ष: स्यादुतकर्ष: सर्वसम्पदाम्,
श्रीनिवास कृपा भूयान् नव्येSस्मिन् वत्सरे शुभे |
आयुरारोग्यसम्पद्भिरेधध्वं     सकुटूम्बका:, 
प्रसरेत् संस्कृता वाणी गेहे - गेहे जने - जने ||१ 


सर्व बधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:|
मनुष्य: मत्प्रसादेन भविष्यन्ति न संशय:||२ 




सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामयाः|
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु नूतने वत्सरे शुभे ||३ 




ऋतवस्ते यज्ञं वितंवन्तु  मासा रक्षन्तु ते हवि:|
संवत्सरस्ते  यज्ञं दधातु न: प्रजां च परिपालतु न:||४ 
 




ऋतवस्ते यज्ञं वि तन्वन्तु मासा रक्षन्तु ते हवि:|
संवत्सरेस्ते यज्ञं दधातु न: प्रजां च परिपातु न:||५ 
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Hindu Nav Varsh 


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