Shikshan kaushal_Teaching Skills शिक्षण कौशल

 शिक्षण कौशल [Teaching Skills]

शिक्षण कौशल का अर्थ है - शिक्षण कार्य मेेंं कुशलता।शिक्षण कौशल शिक्षक व्यवहार से संबंधित वह स्वरूप है, जो कक्षा की अंतःक्रिया में उन विशिष्ट परिस्थितियों को उत्पन्न करता है, जो शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं और छात्रों को सीखने में सुगमता प्रदान करते हैं। शिक्षण कार्य करते हुए शिक्षक के हाव-भाव, क्रिया-कलाप तथा तौर-तरीकों आदि को भी शिक्षण कौशल के अन्तर्गत रखा जाता हैै।

एक प्रभावशाली शिक्षण में विशेष कौशलों का समावेश होता है, एक अच्छा शिक्षक अपने कक्षा में विभिन्न शिक्षण कौशल का उपयोग करता है। एक शिक्षक को अपने कक्षा शिक्षण में विशिष्ट कौशलों की आवश्यकता होती है तभी उसका शिक्षण प्रभावशाली हो सकता है। शिक्षण कौशलों की संख्या 22 के लगभग है।

शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा

शिक्षण में कुशलता अर्थात एक शिक्षण को किन आयामों  से प्रभावी बनाया जा सकता है, इस हेतु जिन साधनों का प्रयोग होता है उन्हें शिक्षण कौशल कहा जाता है।

शिक्षण कौशल को अनेक विद्वानों ने परिभाषित किया है, जिनमें प्रमुख परिभाषाएं निम्नांकित हैं -

 एन० एल० गेज 

शिक्षण कौशल वह विशिष्ट अनुदेश प्रक्रिया है,जिसे अध्यापक अपनी कक्षा शिक्षण में प्रयोग करता है। यह शिक्षण-क्रम की विभिन्न क्रियाओं से संबंधित होता है, जिन्हें शिक्षक अपनी कक्षा अंतः क्रिया में लगातार उपयोग करता है।

 बी०के० पासी

शिक्षण कौशल संबंधित शिक्षण क्रियाओं  अथवा उन व्यवहारों के संपादन से है, जो छात्रों के सीखने के लिए सुगमता प्रदान करने के विचार से किए जाते हैं।

 शिक्षण कौशलों की संख्या

शिक्षण कौशल अलग-अलग विषयों के अलग-अलग होते हैं। परंतु समस्त विषयों के कौशलों की पहचान सर्वप्रथम ऐलन तथा रायन ने  1969 ई० में की थी। इन्होंने 14 शिक्षण कौशलों को दिया है, वह शिक्षण कौशल इस प्रकार हैं -

*उद्दीपन भिन्नता कौशल|                                    * विन्यास प्रेरणा कौशल|

*समीपता कौशल|                                         * मोन एवं अशाब्दिक अंत: प्रक्रिया कौशल|

* पुनर्बलन कौशल|                                           * श्यामपट कौशल| 

*खोजपूर्ण प्रश्न कौशल|                                    *विकेंद्रीय प्रश्न कौशल|

*छात्र व्यवहार का ज्ञान कौशल|                           *दृष्टांत कौशल|

*व्याख्यान कौशल|                                           *प्रवचन/वाचन कौशल| 

*नियोजित पुनरावृति कौशल|                             *संप्रेषण कौशल

भारतीय शिक्षा शास्त्री बी० के० पासी 1976 ने 13 शिक्षण कौशलओं का वर्णन किया है- 

*अनुदेशन उद्देश्यों को लिखना                                     *पाठ की प्रस्तावना

 *प्रश्नों की प्रभावशीलता                                      *खोजपूर्ण प्रश्न

* व्याख्या कौशल                                                       *दृष्टांत देना

*उद्दीपन                                                                    *अशाब्दिक अंत:प्रक्रिया 

*पुनर्बलन                                                                 *छात्र प्रोत्साहन

 *श्यामपट्ट कौशल                                              *समीपता की प्राप्ति 

*छात्र व्यवहार की पहचान।

शिक्षा शास्त्रियों ने शिक्षण कौशलो का वर्गीकरण करके  मुख्य 22 शिक्षण कौशल का वर्गीकरण किया गया है। शिक्षा उपयोगी प्रमुख 22  शिक्षण कौशलों  में से  महत्वपूर्ण  शिक्षण कौशलों का वर्णन  अग्रलिखित है-

(1) प्रश्न कौशल

(2) व्याख्या कौशल

(3) उदाहरण कौशल

(4) पुनर्बलन कौशल

(5) उद्दीपन कौशल

प्रश्न कौशल Question skills

शिक्षण प्रक्रिया में प्रश्न कौशल की भूमिका महत्वपूर्ण है। छात्रों को प्रभावपूर्ण प्रश्न कौशल में निपुण होना आवश्यक है। निपुण का अर्थ अधिगम प्रक्रिया को गति देने से है। अधिगम में प्रश्न कौशल  को तीन भागों में विभाजित किया जाता है-  संरचना(Structure), प्रक्रिया(Process), उत्पादन(Product)

 संरचना(Structure),

इसके अन्तर्गत व्याकरणिक शुद्धता एवं पाठ्यवस्तु से सम्बंधित प्रश्न आते हैं। सुंगठित प्रश्नों के मुख्य मानदण्ड अग्रलिखित हैं-

(१) व्याकरणिक शुद्धता

(२) संक्षिप्तता

(3) प्रासंगिकता

(४) विशिष्टता

प्रक्रिया(Process)

प्रक्रिया शब्द से तात्पर्य प्रश्न पूछने के तरीके से है। प्रक्रिया के अन्तर्गत निम्न बिन्दु आतें है- 

(१) प्रश्न पूछने की गति

(२) शिक्षक की आवाज 

(३) प्रश्नों की तारतम्यता

उत्पादन(Product)

उत्पाद  तात्पर्य छात्र के उत्तर देने से होता है। कई बार ऐसा होता है  कि प्रश्न की संरचना और प्रक्रिया में कोई कमी नहीं होती फिर भी छात्र सही उत्तर नहीं दे पाते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसेकि-

(१)छात्र बौद्धिक स्तर से कठिन प्रश्न।

(२)पाठ में रूचि न होना ।

(३)पर्याप्त पूर्व ज्ञान न होना।

व्याख्या कौशल Interpretation skills

व्याख्या कौशल में भाषा की स्पष्टता,शब्दों की सुसंगता, और भावाभिव्यक्ति का होना आवश्यक है। व्याख्या कौशल में निम्न वांछित व्यवहारों का होना आवश्यक है-

(१) विचारों का सतत् प्रवाह।

(२) प्रत्येक कथन तार्किकता एवं स्पष्टता।

(३) भाषा में प्रवाह होना।

(४) कथनों में तारतम्यता।

दृष्टांत/उदाहरण कौशल Example skills

इस कौशल से कथानक को और अधिक बोधगम्य और स्पष्ट बनाया जाता है। इसमें शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों तरह की क्रियाएं आती है। शाब्दिक दृष्टांत/उदाहरण में कथा,कहानी,कविता आदि आते हैं तथा अशाब्दिक में मॉडल, चार्ट प्राकृतिक दृश्य आदि आतें हैं।  दृष्टांत/उदाहरण कौशल में निम्न क्षमताओं का विकास होना चाहिए- 

(१) सिद्धांत, विचार या तथ्य से सम्बंधित समुचित उदाहरण या दृष्टांत का चयन करने की क्षमता का होना। 

(२) दृष्टांत/उदाहरण को कक्षा में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता।

पुनर्बलन कौशल Reinforcement skills

पुनर्बलन  कौशल दो तरह का होता है। सकारात्मक पुनर्बलन और नकारात्मक पुनर्बलन।

सकारात्मक पुनर्बलन भी दो तरह का होता है। एक सकारात्मक शाब्दिक पुनर्बलन। जैसे- बहुत सुन्दर, अतिउत्तम आदि और दूसरा  अशाब्दिक पुनर्बलन। जैसे हाव-भाव, हाथों के इसारे आदि।

नकारात्मक पुनर्बलन भी दो प्रकार का होता है। शाब्दिक नकारात्मक। जैसे दण्ड देना, क्रोधित होना आदि और अशाब्दिक नकारात्मक जैसे - आंखें दिखाना, मुंह फेरना आदि।

उद्दीपन कौशल Stimulus skills

शिक्षक द्वारा छात्रों के ध्यान को आकर्षित कर पाठ्यवस्तु पर केन्द्रित कराने के लिए उद्दीपन कौशल का प्रयोग किया जाता है। उद्दीपन कौशल में  निम्नतत्व समाहित है- 

(१) संचलन     (२) हावभाव

 (३) इंगित     (४) वाक परिवर्तन

 (५) केन्द्रण     (६) अन्तर क्रिया-शैली परिर्वतन

 (७) विराम     (८) मौखिक-दृश्य ।

शिक्षण कौशल का निष्कर्ष 

उपरोक्त वर्णन से ज्ञात होता है कि, एक प्रभावशाली शिक्षक के लिए आवश्यक होता है कि वह  शिक्षण कौशलों का उपयोग समुचित रुप में कक्षा  शिक्षण हेतु कर सके, जिसके लिए इन शिक्षण कौशलों का ज्ञान होना आवश्यक है |

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