Bharatiya Shiksha aayog, Education commission of India भारतीय शिक्षा आयोग

 भारतीय शिक्षा आयोग Bharatiya Shiksha aayog, Education commission of India,

भारतीय शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए भारत सरकार ने समय-समय पर अनेक भारतीय शिक्षा आयोगों (Bharatiya Shiksha aayog, Education commission of India) का गठन किया है और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए इन भारतीय शिक्षा आयोगों (Bharatiya Shiksha aayog, Education commission of India) को लागू किया है| इस लेख में मुख्य भारतीय शिक्षा आयोगों का ही वर्णन किया जायेगा| 

भारतीय शिक्षा आयोग Bharatiya Shiksha aayog, Education commission of India में निम्न आयोगों का वर्णन किया जायेगा-

➤  विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission (राधाकृष्णन आयोग Radhakrishnan Commission) 1948-49.

➤ माध्यमिक शिक्षा आयोग Secondary education Commission (मुदालियर आयोग Mudaliar Commission) 1952-53.

➤ राष्ट्रीय शिक्षा आयोग  National education commission (कोठारी आयोग Kothari commission) 1964-66.

➤ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग University grants commission (UGC).

➤ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद National council of education Research and training (NCERT).

➤ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद National council for teacher education (NCTE).

 ➤ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 National education policy1986. 

 👉 ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड operation black board. 

👉 आवासीय विद्यालय जवाहर नवोदय विद्यालय Residential School Jawahar Navodaya Vidyalaya.

👉दूरस्थ शिक्षा एवं मुक्त विश्वविद्यालय distance education and open University.

➤ सर्व शिक्षा अभियान Education for all campaign,

➤ राष्ट्रीय ज्ञान आयोग National knowledge commission (NKC).

➤ शिक्षा का अधिकार Right to Education.


विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission (राधाकृष्णन आयोग Radhakrishnan Commission) 1948-49. 

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission के अध्यक्ष डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन होने के कारण इस आयोग को  राधाकृष्णन आयोग Radhakrishnan Commission के नाम से भी जाना जाता है| केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) और अंतर्विश्वविद्यालय शिक्षा परिषद् (IUBE) के सुझाव पर भारत सरकार ने 4 नवम्बर 1948 को  विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission या राधाकृष्णन आयोग  Radhakrishnan Commission का गठन किया, जिसका प्रस्ताव 25 अगस्त 1949 को भारत सरकार को प्रेषित किया गया| विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission में कुल 10 सदस्य थे-
1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (आयोग के अध्यक्ष)
2. डॉ. सर जेम्स
3. डॉ. जांन जे टिगर्ट
4. डॉ. आर्थर ई.मार्गन
5. डॉ. जाकिर हुसैन
6. डॉ. तारा चन्द
7. डॉ. ए. लक्ष्मण स्वामी मुदालियर
8. डॉ.कर्मनारायण बहल
9. मेघनाद शाह
10. एन.के. सिध्दान्त

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission (राधाकृष्णन आयोग Radhakrishnan Commission) के उद्देश्य तथा कार्य क्षेत्र 

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission के गठन का उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करना था और देश की तत्कालीन एवं भावी आवश्यकताओं के अनुरूप उच्च शिक्षा के निर्माण एवं विस्तार के संबंध में सुझाव देना था संक्षेप में इस प्रकार है-
1-    तत्कालीन भारतीय विश्वविद्यालयों का अध्ययन कर उनके समस्याओं का पता लगाना।
2-    विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रशासन एवं वित्त के संबंध में सुझाव देना।
3-    उच्च शिक्षा की पाठ्यचर्या में सुधार ।
4-    शिक्षण स्तर को उठाने के लिए उपाय बताना|
5-    प्राध्यापकों की नियुक्ति वेतनमान और सेवा शर्तों के संबंध में सुझाव देना|
6-    छात्रों में फैली अनुशासनहीनता को दूर करने के उपाय खोजना और छात्रों के कल्याण के लिए योजना प्रस्तुत करना|

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission (राधाकृष्णन आयोग Radhakrishnan Commission) के सुझाव

 उच्च शिक्षा को समवर्ती सूची में रखा जाए
उच्च शिक्षा अध्ययन का विभाजन तीन स्तरों में किया जाए- स्नातक(3 वर्ष) स्नातकोत्तर(2 वर्ष) और अनुसंधान( न्यूनतम 2 वर्ष) व्यवसाय एवं तकनीकी शिक्षा को 6 वर्गों में विभाजित करना कृषि, वाणिज्य, इंजीनियर एवं तकनीकी, चिकित्सा, कानून और शिक्षक प्रशिक्षण तथा इनके लिए स्वतंत्र संबद्ध महाविद्यालय खोलने का सुझाव दिया गया|
विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग University Education Commission की सिफारिस पर ही कुंजरु समिति (अध्यक्ष-हृदयनाथ कुंजरु) ने 16 जुलाई 1948 को (NCC) राष्ट्रीय क्रैडिट कोर की स्थापना की तथा 8 अगस्त 1959 को राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की स्थापना हुई, जिसके कार्यक्रम का संचालन 37 विश्वविद्यालय में 24 सितम्बर 1969 को हुई| तथा 1954 में केंद्र में ग्रामीण उच्च शिक्षा समिति(rural higher education committee) की स्थापना की|

माध्यमिक शिक्षा आयोग Secondary education Commission (मुदालियर आयोग Mudaliar Commission) 1952-53.

मध्यमिक शिक्षा आयोग या  मुदालियर आयोग का प्रस्ताव  ताराचंद समिति के अस्पष्ट सुझाव के कारण केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने भारत सरकार के समक्ष रखा। सरकार ने 23 सितंबर 1952 को मद्रास विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉक्टर लक्ष्मणस्वामी मुदालियर की अध्यक्षता में माध्यमिक शिक्षा आयोग का गठन किया। डॉक्टर लक्ष्मणस्वामी मुदालियर इस आयोग का अध्यक्ष होने के करण इस आयोग को मुदालियर आयोग भी कहा जाता है | मध्यमिक शिक्षा आयोग या  मुदालियर आयोग  ने 29 अगस्त 1953 को अपना प्रतिवेदन भारत सरकार को प्रेषित किया। यह प्रतिवेदन 244 पृष्ठों का एक बड़ा दस्तावेज है। जिसमें माध्यमिक शिक्षा के समस्त पहलवान पर 14 प्रकरणों के अंतर्गत प्रकाश डाला गया है।

मध्यमिक शिक्षा आयोग या  मुदालियर आयोग के सदस्य- 

1.       डॉक्टर लक्ष्मणस्वामी मुदालियर (आयोग अध्यक्ष) 
2.    डॉ कालू मेहरा श्रीमाली (प्रिंसिपल विद्या भवन टीचर्स कॉलेज उदयपुर)
3.    श्रीमती हनसा मेहता (उपकुलपति बड़ौदा विश्वविद्यालय)
4.    डॉ जॉन क्रिस्टी (प्रिंसिपल जीसस कॉलेज ऑक्सफोर्ड लंदन)
5.    डॉक्टर केनेथरस्ट्री विलियम (एसोसिएट डायरेक्टर सर दर्द रिलीजन एजुकेशन बोर्ड                 अटलांका अमेरिका)
6.    श्री केजी सय्यद
7.    श्रीजी ए तारापुर वाला
8.    श्री एम टी व्यास
9.   डॉ ए एस बसु (आयोग के सचिव)

मध्यमिक शिक्षा आयोग या  मुदालियर आयोग के  सुझाव

👉  केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के जैसे प्रत्येक प्रांत में भी प्रांतीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की             स्थापना की जाए।
👉 छात्रों में लोकतांत्रिक भावना, नागरिकता, व्यवसायिक कुशलता, व्यक्तित्व विकास और          नेतृत्व शक्ति का विकास करना| 
👉 पाठ्यचर्या व्यापक और लचीली हो, छात्र अपनी योजनाओं के अनुसार विषयों का चयन कर         सकें।
👉 रटने पर बल न देकर समझने पर बल देना चाहिए।
👉 शिक्षकों के चयन संबंधी सामान्य नियम बनाए जाएं।
👉 इंटरमीडिएट कक्षा को समाप्त कर 11वीं कक्षा को माध्यमिक शिक्षा और 12 वीं को डिग्री         कोर्स में जोड़ दिया जाए।
👉 प्रत्येक राज्य में एक शैक्षिक एवं व्यवसायिक निर्देशन ब्यूरो की स्थापना की जाए।
👉 माध्यमिक विद्यालयों में धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग  National education commission (कोठारी आयोग Kothari commission) 1964-66.

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या कोठारी आयोग 14 जुलाई 1964 को डॉ. डीएस कोठारी तत्कालीन अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अध्यक्षता में 17 सदस्यों से युक्त राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन किया गया। इस आयोग को इसके अध्यक्ष के नाम पर कोठारी आयोग भी कहते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या कोठारी आयोग ने 29 जून 1966 को अपना प्रतिवेदन शिक्षा एवं राष्ट्रीय प्रगति education and national development शीर्षक से भारत सरकार को प्रेषित किया। यह प्रतिवेदन 692 पृष्ठों का एक वृहत दस्तावेज है, जो तीन खंडों में विभाजित है प्रत्येक खंड में 6 अध्याय हैं|


राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या कोठारी आयोग के मुख्य सुझाव Main suggestions of national education commission

शिक्षा को महत्व देते हुए नेशनल एजुकेशन एक्ट बनाया जाए और प्रांतीय सरकार स्टेट एजुकेशन एक्ट बनाएं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के संघीय विभाग को सूचित किया जाए। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड को (CABE) को और अधिकार दिए जाएं। राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद NCERT को अखिल भारतीय स्तर पर विद्यालय शिक्षा का भार सौंपा जाए। केंद्र सरकार अपने बजट में शिक्षा के लिए कम से कम 6% का प्रावधान करें।
राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या कोठारी आयोग में सभी स्त्रियों की शिक्षा व्यवस्था के पुनर्निर्माण का सामान्य विवेचन किया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या कोठारी आयोग के पंचमुखी कार्यक्रम

💥 शिक्षक द्वारा उत्पादन में वृद्धि करना। 💥 शिक्षा द्वारा सामाजिक तथा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करना। 💥 शिक्षा द्वारा लोकतंत्र के मूल्यों का विकास करना 💥 शिक्षा द्वारा राष्ट्र का आधुनिकीकरण करना।
💥 शिक्षा द्वारा सामाजिक नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना।

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या कोठारी आयोग के प्रभाव

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या कोठारी आयोग के सुझाव पर 10+2+3 किस रचना का क्रियान्वयन।
राष्ट्रीय एनसीईआरटी द्वारा प्रथम 10 वर्षीय शिक्षा के लिए पाठ्यचर्या तैयार करना|
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण करना|

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग University grants commission (UGC).


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग University grants commission (UGC) का मुख्य कार्य विश्वविद्यालयों को अनुदान आवंटन करना है| विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के महत्त्वपूर्ण तथ्य अग्रलिखित है-
स्थापना      -         नवंबर 1956 प्रथम अध्यक्ष  -     मौलाना अबुल कलाम आजाद कार्यालय       -     बहादुर शाह जफर मार्ग नई दिल्ली दो अतिरिक्त सूचना स्थल ब्यूरो  -  फिरोजशाह रोड नई दिल्ली और दिल्ली विश्वविद्यालय                                                दक्षिण केंपस।
क्षेत्रीय कार्यालयों की संख्या  -     6
1.पुणे महाराष्ट्र
2. हैदराबाद
3. कोलकाता
4. भोपाल
5. गुवाहाटी
6. बेंगलुरु
वर्तमान अध्यक्ष - अध्यक्ष प्रोफेसर धीरेंद्र पाल सिंह (D.P. singh) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मुख्यत: 28 दिसंबर 1953 को अस्तित्व में आया जिसका उद्घाटन तत्कालीन शिक्षा मंत्री, प्राकृतिक संसाधन मंत्री तथा वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने किया। परंतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना भारतीय संसद में एक अधिनियम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग 1956 को स्वीकृत करके की गई। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का उद्देश्य विश्वविद्यालयों की स्थापना करना उनको अनुदान आवंटन करना तथा उच्च शिक्षा में सुधार लाने आदि है।


राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद National council of education Research and training (NCERT).


राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद National council of education Research and training, (NCERT) के महत्त्वपूर्ण तथ्य -

स्थापना    -     सितंबर 1961
कार्यालय    -     श्री अरविंद मार्ग नई दिल्ली
वर्तमान निदेशक    -    हृषिकेश सेनापति
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान    -     05
उत्तर भारत क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान    -      अजमेर 1963
पश्चिम भारत क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान    -    भोपाल 1963
पूर्वी भारत क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान    -         भुनेश्वर 1963
दक्षिणी भारत क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान    -     मैसूर 1963
उत्तर पूर्वी भारत क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान    - शिलांग 1995

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की स्थापना केंद्रीय सरकार ने 1 अप्रैल 1961 को पूर्व स्थापित राष्ट्रीय बेसिक शिक्षा संस्थान National institute of basic education, माध्यमिक शिक्षा प्रसार कार्यक्रम निदेशालय directorate of secondary education expansion program, शैक्षिक एवं व्यवसायिक निर्देशन ब्यूरो educational and vocational guidance beuro, राष्ट्रीय श्रव्य दृश्य साधन संस्थान National institute off audio visual aids, एवं पाठ्यपुस्तक ब्यूरो text book beuro, को मिलाकर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का गठन किया गया। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के वर्तमान निर्देशक ऋषिकेश सेनापति है जो 2015 से इस पद पर हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान 5 है तथा क्षेत्रीय कार्यालय 17 है।
वर्तमान में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तीन स्तरों पर कार्य कर रही है, जिसमें पहला सामान्य निकाय जिसके अध्यक्ष केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री होते हैं। इसके अतिरिक्त कुल सदस्य केंद्रीय सरकार द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। दूसरी कार्यकारिणी समिति है जिसके अध्यक्ष केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और उपाध्यक्ष केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री होते हैं। सदस्यों में केंद्रीय शिक्षा सचिव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक मुख्य है।
मनोनीत सदस्यों में 4 शिक्षक प्रतिनिधि और शिक्षाविद  होते हैं और तीसरी परिषद है जिस के सर्वोच्च अधिकारी को निदेशक कहते हैं। जिसकी नियुक्ति केंद्रीय सरकार द्वारा की जाती है और इसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है|

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद National council for teacher education (NCTE).


स्थापना    -    17 अगस्त 1995
कार्यालय    -     G7 सेक्टर 10 द्वारिका नई दिल्ली 110075
वर्तमान अध्यक्ष    - डॉ विनीत जोशी आईएएस
उपाध्यक्ष-     रिक्त
सचिव-     श्रीमती केसांग यांगजोम शेरपा
वर्तमान में उत्तराखंड के सदस्य    -    03
प्रोफेसर पीके जोशी (शिक्षा विभाग हेमंती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय)
सुश्री रश्मि चौहान (प्रिंसिपल एंजेल्स एकेडमी पब्लिक स्कूल हरिद्वार)
शिक्षा सचिव उत्तराखंड
क्षेत्रीय समितियां    - 04
उत्तर भारत में जयपुर
दक्षिण भारत में बेंगलुरु
पूर्वी भारत में भुनेश्वर
पश्चिम भारत में भोपाल

 राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद National council for teacher education का सामान्य परिचय

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षक परिषद की स्थापना 1973 में की गई थी। दिसंबर 1993 में संसद में राष्ट्रीय शिक्षक परिषद एक्ट 1993 का 73 पास करके इसे संवैधानिक दर्जा दिया गया और 1995 में इस एक्ट के अनुसार परिषद का पुनर्गठन किया गया। वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद में  पूर्णकालिक अधिकारी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव रहते हैं इनका कार्यकाल 4-4 वर्ष का होता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 National education policy1986. 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 यह भारत की ऐसी पहली शिक्षा नीति है जिसमें नीति के साथ उसके क्रियान्वयन की पूरी योजना प्रस्तुत की गई है और साथ ही उसके लिए पर्याप्त संसाधन जुटाए गए। शिक्षा की चुनौती नीति संबंधी परिप्रेक्ष्य नाम से सरकार ने तत्कालीन शिक्षा का सर्वेक्षण करवाया| जिसे 1983 में प्रकाशित किया गया और इस दस्तावेज को जनता के हाथों में पहुंचाया जिससे इस पर देश व्यापी बहस शुरू हो गई और सभी प्रांतों के विभिन्न क्षेत्रों से सुझाव प्राप्त हुए।केंद्रीय सरकार ने इन सुझावों के आधार पर एक नई शिक्षा नीति तैयार की और उसे संसद के बजट अधिवेशन 1986 में प्रस्तुत किया गया, जिसे मई 1986 में संसद में पास करके प्रकाशित किया गया।  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का संपूर्ण दस्तावेज 12 भागों में विभाजित है।
प्रथम भाग         भूमिका     
द्वितीय भाग     शिक्षा का सार और उसकी भूमिका 
तृतीय भाग         राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली
चतुर्थ भाग         समानता के लिए शिक्षा
पंचम भाग         विभिन्न स्तरों पर शिक्षा का पुनर्गठन शिशुओं की देखभाल और शिक्षा
षष्ठ भाग         तकनीकी एवं प्रबंध शिक्षा
सप्तम भाग     शिक्षा व्यवस्था को कारगर बनाना
अष्टम भाग     शिक्षा की विषय वस्तु और प्रक्रिया को नया मोड़ देना
नवम भाग       शिक्षक व्यवस्था
दशम भाग        शिक्षा का प्रबंध
एकादश भाग     संसाधन और समीक्षा
द्वादश भाग और अंतिम भाग   भविष्य

राष्ट्रीय शिक्षा नीति National education policy 1986 के प्रभाव

10 + 2 + 3 शिक्षा संरचना की व्यवस्था का संचालन  सम्पूर्ण देश में  करना |
सर्व शिक्षा अभियान का संचालन |
ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड की स्थापना |
नवोदय विद्यालय की स्थापना |
दूरस्थ शिक्षा एवं मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना |
संस्कृत विद्यालय की स्थापना |
शैक्षिक अवसरों की समानता का प्रयास |
शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना |
शिक्षक की जवाबदेही तय करना |
व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था करना |
तकनीकी तथा प्रबंध शिक्षा एवं स्त्री शिक्षा की व्यवस्था करना है |
परीक्षा में सुधार पर जोर |

ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड operation black board.

ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड का अभिप्राय न्यूनतम शैक्षिक साधनों तथा उपकरणों का प्रावधान है अर्थात शैक्षिक सामग्री की व्यवस्था करना ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड है। ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड में न्यूनतम आवश्यकताएं- दो कमरे का भवन, फर्नीचर, शिक्षण सामग्री, पुस्तकालय सामग्री, खेल सामग्री, और कम से कम 2 शिक्षक व्यवस्था।

 आवासीय विद्यालय जवाहर नवोदय विद्यालय Residential School Jawahar Navodaya Vidyalaya.

जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थपना 1985-86 में की गई।जवाहर नवोदय विद्यालय का उद्देश्य देश के उपेक्षित क्षेत्र अर्थात् ग्रामीण क्षेत्र और उपेक्षित वर्ग अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रतिभावान बच्चों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करना है। इन विद्यालयों में 75%ग्रामीण और 25% शहरी क्षेत्र के छात्रों के लिए है। सम्पूर्ण आरक्षण में अनुसूचित जाति के लिए 15%और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5% आरक्षण की व्यवस्था  है।

जवाहर नवोदय विद्यालय प्रथम विद्यालय -  कलोई झाझर हरियाणा    5/3/1986
दूसरा विद्यालय-     अमरावती महाराष्ट्र  6/3/1986
वर्तमान में कुल 661 विद्यालय हैं।  तमिलनाडु राज्य  में एक भी नवोदय विद्यालय नहीं है। इनमें 10 अनुजाति 10 जनजाति तथा 03 विशेष नामतः सेनापति, उखरुल मणिपुर और रतलाम मध्यप्रदेश में हैं। उत्तराखण्ड में जवाहर नवोदय विद्यालयों की संख्या - 13 है |
जवाहर नवोदय विद्यालय  के संभाग कार्यालयों की संख्या  08 है -
1.    भोपाल 
2.    चण्डीगढ़
3.    हैदराबाद
4.    जयपुर
5.    लखनऊ
6.    पटना
7.    पुणे
8.    शिलांग

दूरस्थ शिक्षा एवं मुक्त विश्वविद्यालय distance education and open University.

किसी कारणवश अपनी शिक्षा पूरी न कर पाने एवं अधूरी छोड़ने के फल स्वरुप दूरस्थ शिक्षा एवं मुक्त विश्वविद्यालय की आवश्यकता महसूस हुई। तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 मैं खुले (Open) शिक्षा के प्रसार पर बल दिया गया। परिणाम स्वरूप 1989 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय खुला (Open)  विद्यालय की स्थापना की और सीबीएसई के खुले विद्यालय को इस में विलीन कर लिया| आगे चलकर 2002 में  इसे राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। दूरस्थ शिक्षा का माध्यम   स्व अध्ययन सामग्री जैसे मुद्रित टेप रिकॉर्डर कैसेट वीडियो कैसे कंप्यूटर रेडियो ।
वर्तमान में कुल 16 मुक्त विश्वविद्यालय है सबसे प्रथम  मुक्त विश्वविद्यालय डॉक्टर बी आर अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय हैदराबाद आंध्र प्रदेश है जिसकी स्थापना 1982 ईस्वी में हुई। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना 1985 में हुईउत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना 31 अक्टूबर 2005 हुई इसका मुख्यालय हल्द्वानी में  है।

सर्व शिक्षा अभियान Education for all campaign.

सर्व शिक्षा अभियान भारत संविधान की धारा 45 के अधूरे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आरंभ किया गया था। धारा 45 में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है। सर्व शिक्षा अभियान का प्रारंभ सन 2000 ईस्वी में हुआ था| प्रारंभिक शिक्षा सुलभ बनाने के उद्देश्य से सर्व शिक्षा अभियान का संचालन किया गया  ।

 सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य 

प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य 2010 तक पूरी तरह प्राप्त कर लेना|
कक्षा 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा को निम्न तीन भागों में बांटा गया
2003 ईस्वी तक ब्रिज कोर्स के आधार पर स्कूली शिक्षा की गारंटी योजना को पूरा करना
2007 तक देश के समस्त बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना।
2008 ईस्वी तक देश के सभी बच्चों को 8 वर्ष की शिक्षा प्रदान करना।

राष्ट्रीय ज्ञान आयोग National knowledge commission (NKC).

राष्ट्रीय ज्ञान आयोग National knowledge commission, NKC का गठन 13 जून 2005 को श्री सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में हुआ। ज्ञान आयोग मैं सात अन्य विशेषज्ञ सदस्य थे। इस आयोग ने अपना कार्य 2006 में शुरू किया। ज्ञान आयोग ने अपनी सिफारिशें चार भागों में 2006 2007 2008 और 2009  प्रस्तुत की। ज्ञान आयोग का संपूर्ण प्रतिवेदन 2009 में  प्रकाशित हुआ। ज्ञान आयोग का प्रतिवेदन पांच भागों में विभाजित है-
ज्ञान  की सुलभता
ज्ञान के सिद्धांत
सृजन
अनुप्रयोग
सेवाएँ

शिक्षा का अधिकार Right to Education.

शिक्षा का अधिकार भारत सरकार ने 86 वाँ संविधान संशोधन करके संविधान के अनुच्छेद 21क के अंतर्गत मूल अधिकार के रूप में रखा है अर्थात मौलिक अधिकार बना दिया गया।  शिक्षा का अधिकार जुलाई 2009 में संसद द्वारा पारित किया गया तथा 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ।
शिक्षा का अधिकार 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को    अनिवार्य   शिक्षा   और    नि:शुल्‍क    शिक्षा  प्रदान करना है |
अनिवार्य शिक्षा' का तात्‍पर्य छह से चौदह आयु समूह के प्रत्‍येक बच्‍चे को नि:शुल्‍क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करवाना और अनिवार्य प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करवाना सरकार का कर्त्तव्य  है। 'नि:शुल्‍क' का तात्‍पर्य यह है कि कोई भी बच्‍चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से, फीस या प्रभारों या व्‍ययों को अदा करने का उत्‍तरदायी नहीं होगा। इसके साथ ही साथ शिक्षा का अधिकार -(क) शारीरिक दंड और मानसिक उत्‍पीड़न; (ख) बच्‍चों के प्रवेश के लिए अनुवीक्षण प्रक्रियाएं; (ग) प्रति व्‍यक्ति शुल्‍क; (घ) अध्‍यापकों द्वारा निजी ट्यूशन और (ड.) बिना मान्‍यता के स्‍कूलों को चलाना निषिद्ध करता है।

मध्यान्ह भोजन योजना (Midday Day meal). 

मध्यान्ह भोजन योजना (Mid Day Meal) की शुरुआत 15 अगस्त 1995 से हुई। प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्‍ट्रीय पौषणिक सहायता कार्यक्रम (एनपी-एनएसपीई) शुरू किया गया था।
 अक्टूबर 2007 में इस योजना को कक्षा 6 से 8 तक लागु क्र दी गयी तथा इसका नाम बदल कर स्कूलों में मध्यान्ह भोजन का राष्‍ट्रीय कार्यक्रम रखा गया| 
 मध्यान्ह भोजन योजना में पौषाणिक मानदण्ड 700 कैलोरी  तथा 20 ग्राम प्रोटीन निश्चित किया गया| 01 अप्रैल 2008 से यह सम्पूर्ण देश में लागु कर दी गयी| 
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Education commission of India

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