जिन्दगी क्या है ? और जीवन पर सुविचार what is life? and Thoughts on life (jindagi kya h? or jivan par suvichar)

what is life जिन्दगी क्या है ? 

जिंदगी क्या है? (what is life?) यह अपने आप में एक जटिल सवाल है जिस पर ऋषि-मुनियों  ने,  कवि-शायरों और दार्शनिक-विचारकों ने बहुत कुछ सोचा-विचारा और लिखा है  शायद ही कोई मनुष्य  ऐसा हो, जो  सोचने को मजबूर न हुआ हो कि , आखिर जिंदगी क्या है? इसका मकसद और मतलब क्या है?

 जिंदगी एक  ऐसा प्रश्न  है जिसका जवाब आसान  नहीं है | जिंदगी  इतनी जटिल, दुर्लभ, अद्भुत, अबूझ और अप्रत्याशित है कि, इसे किसी परिभाषा में  व्यक्त करना नामुमकिन है |  इतना जरूर है कि, जिंदगी प्रकृति का अमूल्य  उपहार है | ईश्वर की श्रेष्ठ रचना है |
 यही कारण  है कि, जीवन में विभिन्न   विसंगतियां , विरोधाभास होने  पर भी  जीने की चाहत कभी किसी भी प्राणी  में कम नहीं होती है | प्रकृति  पर भले ही  किसी का दबाव  न हो, लेकिन अपने  जीवन को  जीने की  आजादी हर किसी को है |
 जीवन में सपने देखने और उन्हें पूरा  करने की आजादी  सबको है, तभी तो जिन्दगी एक आनन्द है | जिन्दगी  एक सपना है | जिन्दगी  एक चुनौती है | जिन्दगी  एक कर्तव्य है | जिन्दगी  एक संघर्ष है | जिसको  हर कोई अपने-अपने नजरिए से  देखता, समझता  और जीता है अर्थात  जिंदगी  एक  ऐसी पहेली का नाम है, जो जीवन के गुलदस्ते में  हजारों रंग विखेरती है |

जिंदगी को सभी ने समझने का प्रयास किया है परन्तु कोई समझ नही पया है | विद्वानों ने जिन्दगी पर आनेकों ग्रंथों में कविता ,शायर और सुविचार  लिखें हैं |  जिन्दगी क्या है? और  जीवन पर सुविचार what is life? and Thoughts on life. 

जीवन पर सुविचार what is life? and Thoughts on life (jindagi kya h? or jivan par suvichar)
जीवन पर सुविचार


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1.    जीवितं क्षणविनाशि शाश्वतं किमपि नात्र। 
     यह जीवन क्षणभंगुर है यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं है।


2.  जीवितं बुद्बुद्प्रायम् 
        जीवन जल के बुलबुले की तरह  क्षणभंगुर है


  
3.          न दाक्षिण्यं न सौशील्यं न कीर्तिः
              न सेवा नो दया किं जीवनं ते। सर्वशुक्ला,पृ.227
                 न दान है | 
               न सुशीलता है |   
                 न सेवा है |
                 न दया है |
        तो तुम्हारा जीवन क्या है? 

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4.        एति जीवन्तमानन्दो नरं वर्षशतादपि। रामायण-5-34-6
 यदि मनुष्य जीवित रहे तो सौ वर्ष के बाद भी उसे आनन्द लाभ होता है।

5.    जीविताशा बलवती धनाशा दुर्बला मम्।। काव्यानुशासनम्-1
मेरी जीवन की आशा बलवती है, परन्तु धन की आशा दुर्लभ है।

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6.    विकृतिर्जीवितमुच्यते बुधैः।। रघुवंश

 बुद्धिमान ने जीवन को विशिष्ट कृतिका है |

 Life is said to be a special creation by the wise.

7.    जीवचक्रं भ्रमत्येवं मा धैर्यात्प्रच्युतो भव। श्रीसुभाषचरितम्-10/32
 जीवन का चक्र ऐसे ही चलता है, इसलिए तुम धैर्य मत छोड़ो।

8.     जीवितं बुद्बुदप्रायम्। श्रीमत्प्रतापराणायनम्- 3.30
जीवन तो जल के बुलबुले की तरह नश्वर है।

9.    परैतु मृत्युरामृतं न एतु | अथर्ववेद-१८-३-62  
        हमसे मृत्यु दूर भागे और हमे अमरता मिले |    

10.    मत्तांगनापांगलोलं हि जीवितम्।।  लोचन टीका

जीवन मतवाली कामिनी के नेत्र की चितवन के समान चञ्चल होता है।

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11.    समाप्तिं गते नाटके जीवनाख्ये
        यदान्तमाप्नोति तदा न किञ्चित्।
        न वित्तं न रूपं न वर्णो न जातिः
      सर्वं तदैकम्, मनुष्यः शरीरम्।शिंजारवः पृ.19

जीवन रूपी नाटक के समाप्त हो जाने पर जब अंत आता है तो कुछ नहीं रहता ना धन रूप रंग जाती यह मनुष्य यह शरीर सब एक रूप हो जाता है
12.    यो मृषा सज्जनानां हि वावद्यते
        वत्स नक्तं दिवा यो विचञ्चूर्यते।
        दुर्जनानां सकाशं च सासद्यते
        जीवनं मृत्युतुल्यं हि तस्योद्यते। देवप्रशस्तिकाव्यम्,40

        सत्पुरुषों से जो असत्य कहे,
        संग करे जो असत्पुरुषों का |
        व अहर्निश  भ्रमण करे ,
        है जीवन मृत्यु-तुल्य उसका ||

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13.     मुखे मधु ते मनसि ते कालकूटः
        तृणावृतकूप रे! किं जीवनम् ते।सर्वशुक्ला, पृ.228  
        
        हे तृण आच्छादित कूप !
        है जीवन क्या तेरा |
        सदा मुख में मधु रहे  
        मन में कालकूट विष तेरे ||


14.    प्रहास एव जीवनं विकास एव जीवनम्।
         प्रकाश एव जीवनं रविर्दिशत्ययं मुदा।। गीताञ्जलिः, पृ.99


            मुदित होकर सूर्य 
           देता है यह सन्देश |
           प्रसन्नता, कर्त्तव्य, विकास, 
           यही है  जीवन का प्रकाश ||

15.  नो चेज्जातस्य वैफल्यं कास्य हानिरितिः परा। इन्द्रयक्षीयम्,4/7   
   
       जीवन की विफलता से बढ़कर क्या हानि हो सकती है?

16.    नष्टा नष्टा पुनर्नष्टा सृष्टिरद्यापि जीवति।
        दर्शं दर्शमिदं मन्ये जीवितेन जिता मृतिः।।
अनेकों बार नष्ट होने के बावजूद सृष्टि अभी तक जीवित है यह देख देख कर यह सोचता हूं कि जीवन ने निश्चय ही मृत्यु को जीत लिया है |

17.    न दाक्षिण्यं न सौशील्यं न कीर्तिः
         न सेवा नो दया किं जीवनं ते। सर्वशुक्ला,पृ.227
          
             न दान  है 
           न सुशीलता है 
        न सेवा है न दया है 
    तो तुम्हारा जीवन क्या है?



18.    धिगस्तु खलु मानुष्यं धिगस्तु परवश्यताम्।
        न शक्यं यत्परित्यक्तमात्मच्छेन्देन जीवितम्।।समयोचितपद्यमालिका,36/11
 मनुष्य जीवन को धिक्कार है परवशता को धिक्कार है यहां कोई भी अपने आप अपना जीवन त्याग ने में समर्थ नहीं है| 

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19.    स जीवति गुणो यस्य धर्मो यस्य स जीवति।
        गुणधर्मविहिनो यो जीवनं तस्य निष्फलम्।।
    
            गुण धर्म है जिसमें 
            जीवन उसका सफल है |
            न हो ये गुण जिसमें 
            जीवन उसका विफल है ||

20.    जीवने  यस्य जीवन्ति मित्राणीष्टाः सबान्धवाः। 
        सफलं जीवितं तस्य आत्मार्थे को न जीवति।। चाणक्यनीति 1/24

  स्वार्थ छोड़ परार्थ जीये 
  जीवन उसका सफल है |
मित्र, इष्टजन, बन्धु-बान्धव 
 जिस  पर  जीवन  जीते  हो ||


21.        नन्दन्त्युदित आदित्ये नन्दन्त्यस्तमिते रवौ।

            आत्मनो नानाबुध्न्ते मनुष्या जीवितक्षयम्।। रामायण/2/105/24

 मनुष्य  सूर्योदय पर आनंदित होते हैं सूर्यास्त पर आनंद मनाते हैं उनका जीवन बितता जा रहा है व इसे नहीं समझते। 



अन्य विद्वानों के अनुसार   जिन्दगी क्या है? और  जीवन पर सुविचार, What is life according to other scholars? And thoughts on life

22.        जिन्दगी जिन्दगी के विना कट रही है ।
           वरना हम भी जिन्दगी के शहंशाह होते।।

23.        जिंदगी बढ़ती है उतनी घटती है।
           जिंदगी आप ही आप करती है।।

24.         जिंदगी है  या कोई तूफान है।
         हम तो इस जीने के हाथों मर चले।। मीर दर्द

25.           जिंदगी से तो खेर शिकवा था।
             मुद्दतों मौत ने भी तरसाया।।  नरेश कुमार साद



26.        For what is life if full of care 
            we have no time to stand and stare.


27.       यह जीवन क्या है यदि क्षमता में व्यग्र
            न समय मिले रहने  का शांत और समग्र

28.       जग भी अब
            प्रसन्न सा लगता
         मेरे मन की प्रसन्नता से | सुमित्रानंदन पंत
 
29.    जिंदगी का नहीं दुनिया में भरोसा  इक आन।
        आज वह उठ गए करते थे जो कल का सम्मान ||बृज नारायण

30.    We are such stuff as dream are made on on hand shower our little life is rounded with a sleeve  शेक्सपियर


31.                       वह पूछते हैं मुझसे क्या है जिंदगी..
                         उस परवरदिगार का एक एहसान है जिंदगी ||
         बेबस चलता रहा है जो सफर सबका उस सफर की एक दांस्ता  है जिंदगी ||
         मिलते हैं सब यहां, बिछड़ते हैं सब यहां, इसी शौक का एक  इम्तिहान है जिंदगी||
        खुशी है बरसात की तरह यहां ,लेकिन गमों से लदता एक बियाबान है जिन्दगी ||  अज्ञात 

32.         जिंदगी एक तोहफा है कबूल कीजिए
             जिंदगी एक एहसास है महसूस कीजिए
             जिंदगी एक दर्द है बांट  लीजिए
             जिंदगी एक आंसू है पी लीजिए
             जिंदगी एक प्यास है प्यार दीजिए
             जिंदगी एक जुदाई है सब्र कीजिए 
            जिंदगी एक मिलन है मुस्कुरा लीजिए
            जिंदगी आखिर जिंदगी है जी लीजिए  अज्ञात 


33.        जिंदगी का फलसफा समझा रहा है|

             एक परिंदा कैद में भी गा रहा है|| नागेंद्र अनुज

34.    जिंदगी के दिन कैसे भी हो गुजर जाएंगे |

         एक  दिन हम भी चुपके से दुनिया छोड़ जाएंगे|| अज्ञात 

35.        चादर पे  पड़ी सिलवट है जिंदगी

            कहीं दिले  दरिया कहीं खरपतवार है जिंदगी|| अज्ञात 

36.        छोटी सी है जिंदगी हंस के जियो|

             भुला के सारे ग़म सर उठा के जियो|

             उदासी में क्यों रहना है मुस्कुरा के जियो|

             अपने लिए ना सही अपनों के लिए जियो| अज्ञात 


जिन्दगी क्या है ? और  जीवन पर सुविचार what is life? and Thoughts on life (jindagi kya h? or jivan par suvichar)


37.    बुद्धिमान मनुष्य के लिए हर दिन नया जीवन होता है|अज्ञात 

38.    जीवन स्वयं का पुनर्निर्माण करने की निरंतर क्रिया है|अज्ञात 

39.    जिंदगी की लंबाई नहीं गहराई ज्यादा मायने रखती है आरडब्ल्यू इमर्शन

40.    जिंदगी एक खेल है जिसे अपरिहार्य तौर पर खेला जाना है | एडमिन  आर्लिंगटन रोविन

41.    जिंदगी खुद में कोई समस्या नहीं है जिसे हल किया जाना हो यह हकीकत है जिसका अनुभव         लेना होता है |सोरेन क्रिकेगार्ड

42.    मानव जीवन इसलिए भी सुंदर  और महत्वपूर्ण है क्योंकि ईश्वर ने इसे अपनी  छवि ने बनाया         है| बाइबल

43.    जिंदगी जंगल के बीच चिड़ियाघर है पीटर डी वेरी


44.    जिंदगी का लक्ष्य प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित करते हुए जीना है जैनों

45.    जीवन एक विशाल कैनवास है जितना और जहां तक हो इसे रंग दे | जाइन  डैनी कैई




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