अज्ञान, Ignorance , संस्कृत सुभाषितानि हिंदी अर्थ सहित
अज्ञान, Ignorance |
agyan par sanskrit shlok hindi arth sahit; संस्कृत सुभाषितानि हिंदी अर्थ सहित,Sanskrit Subhashitani with Hindi meaning.
मनुष्य अज्ञान के कारण नरक में जाता है और अज्ञान से उसकी दुर्गति होती है। अज्ञान के कारण वह कष्ट और आपत्ति में फंसता है।
कामः क्रोधश्च दर्पश्च तन्द्री चालस्यमेव च।।
3. इच्छा द्वेषस्तथा तापः परवृद्ध्युपतापिता।
अज्ञानमेतन्निर्दिष्टं पापानां चैव याः क्रियाः।। महा.शा.159/7
राग, द्वेष, मोह, हर्ष, शोक, अभिमान, काम, क्रोध, घमण्ड, निद्रा, आलस्य, इच्छा, वैर, ताप, दूसरों की उन्नति देखकर जलना और पाप के काम करना ये सब अज्ञान ही हैं।
4. लोभप्रभवमज्ञानं वृद्धं भूयः प्रवर्धते।
स्थाने स्थानं क्षये क्षैण्यमुपैति विविधां गतिम्।। महा.शा. 159/10
अज्ञान Ignorance लोभ से पैदा होता है। लोभ के बढने पर अज्ञान भी बढ़ता है। जब तक लोभ रहता है तब तक अज्ञान भी रहता है।
5. तस्याज्ञानाद्धि लोभो हि लोभादज्ञानमेव च।। महा.159/12
मनुष्य को अज्ञान से लोभ होता है और लोभ से अज्ञान होता है।
6. अबुद्धिस्तामसी रात्रिर्यया किञ्चन्न भासते। रसगंगाधर
अज्ञान अन्धकारमय रात्रि रुप है जिसमें कुछ नहीं दिखायी देता है।
अज्ञान, Ignorance , संस्कृत सुभाषितानि हिंदी अर्थ सहित,Sanskrit Subhashitani with Hindi meaning. महाभारत में अज्ञान, mahaabhaarat mein, Ignorance in Mahabharat. agyaan
7. अज्ञानमलपङ्कं यः क्षालयेञ्जानतोयतः।। जाबलदर्शनोपनिषद्. 5/14
जो मनुष्य अज्ञानरूपी मल एवं कीचड़ को ज्ञान रूपी जल से धो डालता है, वही मनुष्य परम पवित्र है।
8. मनोSज्ञस्य हि श्रृंखला।। महोपनिषद्. 5/96
अज्ञानी का मन उसके बन्धन का कारण है।
9. तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानासिनात्मनः।। गीता 14/42
हे अर्जुन! अज्ञान से उत्पन्न हुए हृदय में स्थित अपने संशय ज्ञान रूपी तलवार से काटो।
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10. अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तवः।। गीता 5/15
अज्ञान Ignorance के द्वारा ज्ञान ढ़का हुआ है, उसी से सब अज्ञानी मनुष्य मोहित हो रहे है।
11. अज्ञानजन बोधार्थं प्रारब्धमिति चोच्यते। नादबिन्दूपनिषद्.29
अज्ञान से ग्रसित लोगों को बोध कराने के लिए प्रारब्ध कर्म की बात कहीं जाती है।
12. अज्ञानात्तु चिदाभासो बहिस्तापेन तापितः।
दग्धं भवत्येव तदा तूलपिण्डमिवाग्निना।। योगकुण्डल्युपनिषद्.3/30
जिस प्रकार रूई का ढेर आग पाते ही जल जाता है, उसी प्रकार चिदाभास के प्रभाव से सांसारिक ताप से तापित अज्ञान समाप्त हो जाता है।
13. अज्ञानोपहतो बाल्ये यौवने वनिताहतः। महोपनिषद्. 6/23
बाल्यकाल में अज्ञानता से ग्रसित रहा, युवाकाल में वनिता(स्त्री) के द्वारा आहत किया गया।
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