गंगा नदी का महत्व, उद्गम-स्थल और वर्णन (ganga nadee ka mahatv, utpatti aur vivaran) Importance, origin and description of river Ganges.


गंगा नदी (Ganga River) का महत्व, उद्गम-स्थल  और वर्णन 

पतित पावनी मोक्षदायिनी भगवती भागीरथी  गंगा नदी (Ganga River) की  पवित्रता का महात्म्य  भारत में ही नहीं अपितु  संपूर्ण विश्व में शोभायमान है | भारत में पौराणिक काल से ही जहान्वी भागीरथी माँ गंगा  का गुणगान चलता आ रहा है | संपूर्ण विश्व के तीनों लोकों में  माँ  भागीरथी के समान पवित्र कोई   तीर्थस्थल  नहीं है-  भागीरथ्या समं तीर्थं नास्ति वै भुवनत्रयै।। पद्मपुराण स.क्रि.सा.-3/पृ.955

गंगा नदी का महत्व, उद्गम-स्थल  और वर्णन   (ganga nadee ka mahatv, utpatti aur vivaran) Importance, origin and description of river Ganges.
गंगा नदी
गंगा नदी (Ganga River) भारतीय संस्कृति का गौरव है,  जो विश्व में  हमें एक अलग पहचान दिलाती है |  सम्पूर्ण विश्व में  जितनी भी नदियाँ है उन सभी नदियों  में गंगा नदी (Ganga River) का जल स्वच्छ और  परम पवित्र माना गया है, अर्थात गंगा नदी के जल का कभी ख़राब न होना |  पुराणों में इसी कारण गंगा नदी (Ganga River) को सभी तीर्थ-स्थलों  में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ-स्थल माना गया है तथा सभी नदियों में सर्वश्रेष्ठ नदी माना गया है- 
तीर्थानां परम तीर्थं नदीनां परमा नदी ।कू.पु.पू.भा. 35/32
 गंगा का आध्यात्मिक और भौतिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है | भौतिक दृष्टि से गंगा नदी तंत्र एक विशाल नदी तंत्र है, जिसपर सहस्रों बाँध बने हैं तथा असंख्य कृषि भू-भाग  संचित होता  है और आध्यात्मिक दृष्टि से गंगा नदी (Ganga River) मोक्षदा कहा गया है | 'तारयतेति तीर्थ' जो भवसागर से पार करा दे वही तीर्थ है |कलियुग में जितने भी तीर्थ-स्थल है, उनमें गंगा नदी (Ganga River) को परम पवित्र तीर्थ-स्थल माना गया है | ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि, गंगा नदी (Ganga River) अपने जल से सम्पूर्ण भूतल को पवित्र कर देती है तथा उसके पादोदक स्थान निश्चत ही तीर्थ-स्थल बन जातें हैं-   
तस्य संस्पर्शनात्पूतं तीर्थं च भुवि भारते। 
तस्यैव पादरजसा सद्यः पूता बसुन्धरा।।
पादोदकस्थानमिदं तीर्थमेव भवेदध्रुवम्।। बह्मवै.पु. 10/48

'जलमेव जीवनम्'  जल ही जीवन है | जल की महत्ता इसी से स्पष्ट हो जाती है | जल एक ऐसा तत्व है  जिसके विना कोई भी प्राणी जीवित नही रह सकता है, इसी कारण भारतीय ऋषि-मुनियों ने नदी को विशेषकर गंगा नदी (Ganga River) को श्रद्धा और  आस्था  का प्रतीक माना है तथा सर्वदा पूजनीय माना है | पुराणों के आख्यानों और उपाख्यानों में देवी अर्थात ब्रह्म का स्वरुप माना गया है, एक स्थान पर कहा गया है कि  गंगा नदी (Ganga River), गंगा के नाम से द्रव रूप में परिणत साक्षात परम ब्रह्म  ही है तथा महापातकियों  का भी उद्धार करने के लिए स्वयं कृपानिधि परमात्मा ही पुण्यतम जल के रूप में पृथ्वी पर अवतार लेकर आये है -

Importance, origin and description of river Ganges.


माँ गंगा की उत्पति (maan ganga kee utpati)   Origin of Ganga goddess.

भगवती माँ भागीरथी गंगा की उत्पति (maan ganga kee utpati, Origin of Ganga goddess)  के विषय में पुराणों में कहा गया है कि  श्रीविष्णु  भगवान के वाम चरण-कमल के अगुठे के नख-भाग से गंगा नदी (Ganga River)  की उत्पति हुई-

वामपादाम्बुजांगुष्ठनखस्रोतोविनिर्गताम्।।वि.पु. 2/8/109

बहिश्चकार गंगा च पादांगुष्ठनखाग्रतः।। बह्मवै.पु. प्र.ख. 12/9

 सर्वपपहरणी माँ भगवती गंगा को भगवान विष्णु के परमपद से उत्पन्न होने के कारण विष्णुपदी भी कहा जाता है निर्गता विष्णुपादाब्जात्तेन विष्णुपदी स्मृता।। वही 11/141


 केदारखण्ड में गंगा की उत्पति (maan ganga kee utpati, Origin of Ganga goddess)  अर्थात गंगा नदी (Ganga River)  नाम गंगा क्यों पड़ा?  इस  संबध में कहा गया है कि,  उस परम ब्रह्म का द्रव्य रूप अत्यन्त पवित्र गंगा नाम है, जो पृथ्वी पर प्राप्त है -

    तदेतत्परमम् बह्म द्रवरुपं महेश्वरि।
   गंगाख्यं यत्पुण्यतमं पृथिव्यामागतं शिवे।।

 गंगा नदी (Ganga River) का पृथ्वी पर पहुँचने  (गां गता)  के  कारण ही  उसका  नाम गंगा पड़ा-

गतां गतेति ततो गंगा नाम तस्या बभूव ह...। केदारखण्ड/०२/०१-०२ 

गंगा नदी का उद्गम-स्थल (ganga nadee ka udgam-sthal) Origin of river Ganga. गंगावतरण की कथा (gangaavataran kee katha) The story of the Ganges River dynasty.

सर्वपापहरणी त्रिपथगा भागीरथी माँ गंगा उद्गम-स्थल गंगोत्री से दस मिल दूर हिमाच्छादित गोमुख  है | यहाँ भागीरथ शिखर से नीचे गोमुख हिमानी ही गंगा नदी का उद्गम-स्थल (ganga nadee ka udgam-sthal) Origin of river Ganga.  है | गोमुख स्वर्ग की अनुभूति का अहसास करता है | गोमुख गंगोत्री से लगभग २५ किलोमीटर के आस-पास की दुराई पर स्थित है | यहाँ के लिए चीरवासा (चिड के वृक्षों की अधिकता होने के कारण यह नाम पड़ा )और भोजवासा (भोज वृक्षों की अधिकता ) से होकर जाना पड़ता है | 

पतित पावनी माँ गंगा नदी (Ganga River) का मुख्य मंदिर गंगोत्री में है| यही पर पापहरणी माँ भागीरथी की पूजा-अर्चना होती है |महाभारत के वनपर्व में  गंगोत्री के विषय में कहा गया है कि  जहाँ पर गंगा का उद्गम स्थल है, उसे गंगोद्वार या गंगोत्री कहते है |  वाजपेय यज्ञ  करने से जो  फल प्राप्त होता है, वह गंगोत्री मात्र जाने और तीन दिन व्रत,श्राद्ध तर्पण आदि करने से प्राप्त हो जाता है तथा मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर  लेता है -

गंगोद्भेदं समासाद्य त्रिरात्री पोषितो नरः।
वाजपेयमवाप्नोति ब्रह्मभूतो भवेत्सदा।।


गंगावतरण की कथा (gangaavataran kee katha) The story of the Ganges River dynasty.

पतित पावनी माँ गंगा का   पृथवी पर अवतरण  की कहानी पुराणों के आख्यानों-उपाख्यानों में मिलती है | जिसमें अनेक कथाएं प्रचलित हैं | उनमे से मुख्य है -
1. शान्तनु की पत्नी के रूप में पृथिवी पर  गंगावतरण की कथा (gangaavataran kee katha) The story of the Ganges River dynasty. जिसमे किसी शाप के कारण माँ गंगा पृथिवी पर आई और कुछ समय के लिए  शान्तनु की पत्नी बनकर रहने के बाद वापस स्वर्गलोक चली गई |
2. दूसरी कथा  राजा सगर के पुत्रों की आत्म शान्ति एवं मुक्ति के लिए राजा भागीरथ का तपोबल के द्वारा गंगावतरण की कथा (gangaavataran kee katha) The story of the Ganges River dynasty. जिसमे राजा सगर द्वारा आयोजित अश्वमेधयज्ञ के अश्व को  इन्द्र द्वारा कपिलमुनि के आश्रम में छुपाकर आना और सगर के पुत्रों द्वारा कपिलमुनि की तपस्या भंग करना,जिसपर कपिलमुनि का क्रोधित होकर अपने शाप से उन्हें भस्म कर देना तथा बाद में सगर के पौत्र भागीरथ  द्वारा गंगा और भगवान शंकर की तपस्या करना और  पतित पावनी माँ गंगा नदी (Ganga River) को पृथिवी पर लाना और अपने दादा और परदादाओं को मुक्ति दिलाना | विष्णु पुराण में कहा गया है कि, गंगा श्री शंकर के जटा कपाल से निकलकर सगर के पापी पुत्रों के  अस्थि चूर्ण को आप्लावित  कर उन्हें स्वर्ग में पहुंचा देती है-

 शम्भोर्जटाकलापाच्च विनिष्क्रान्तास्थिशर्कराः।
    प्लावयित्वा दिवं निन्ये या पापान्सगरात्मजान्।। वि.पु. 2/8/15 

राजा भागीरथ के तपोबल से अवतरित पतित पावनी मोक्षदायिनी  माँ गंगा नदी (Ganga River) गोमुख हिमानी से निकलकर उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिमबंगाल   से होते हुए सुंदरवन में गंगासागर में मिल जाती है | गोमुख से लेकर सुंदरवन तक गंगा नदी भारत के पांच 5 राज्यों से होकर गुजरती है |

गंगा नदी के विभिन्न नाम  [ganga nadee ke vibhinna naam] Other names for River Ganges. या गंगा नदी के अन्य  नाम या उपनाम ganga nadi ke any nam ya upnam.

धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में  गंगा नदी के विभिन्न नाम [ganga nadee ke vibhinna naam] Other names for River Ganges. या गंगा नदी के अन्य  नाम या उपनाम (ganga nadi ke any nam ya upnam) बताए गये हैं जिनमे से प्रमुख नाम निम्नवत हैं -
भागीरथी, सप्तागंगा, स्वर्गगंगा, पातालगंगा, गरुड़गंगा, बालगंगा, धर्मगंगा, अमृतगंगा, नदाकिनी,   विरहीगंगा, लक्ष्मणगंगा, अस्सिगंगा,  रुद्रगंगा, केदारगंगा, हनुमानगंगा, अलकनन्दा, मन्दाकिनी,   यमुना |

इनके अतिरिक्त गंगा नदी के विभिन्न नाम  [ganga nadee ke vibhinna naam] Other names for River Ganges. या गंगा नदी के अन्य  नाम या उपनाम (ganga nadi ke any nam ya upnam) विष्णुपदी, त्रिपथगा, जान्हवी, हेमवती, स्वर्गा, गां गता, वसुमाता आदि हैं |

गंगा नदी की वौज्ञानिकता (ganga nadee kee vaugyaanikata) Scientificity of river Ganges.

गंगा नदी (Ganga River) ने जो आज भी विश्व में अपनी पहचान बना रखी है, उसका कारण है, उसकी वैज्ञानिकता | वैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी नदी का जल दूषित या प्रदूषित होने का कारण  उसमे स्थित विक्ट्रीया है, जिस कारण जल बहुत जल्दी खराब हो जाता है , लेकिन गंगा नदी (Ganga River) में ऐसा नही है, अर्थात गंगा नदी (Ganga River) का जल कई वर्षों तक ख़राब नहीं हिता है| यही कारण है की आज  सम्पूर्ण विश्व गंगा नदी (Ganga River) पर  अनुसन्धान एवं शोध कर रहा है | डॉ. चन्द्रशेखर नौटियाल (निदेशक,  नेशनल  टेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट {एन.बी.आर.आई.})   और पर्यावरणविद   प्रो. देवेन्द्र भार्गव आई.आई. टी. रूड़की के अनुसन्धान एवं शोध के अनुसार गंगा नदी (Ganga River) के जल-तत्व में  बैक्टीरियोफ्रेज  नामक तत्व  होते हैं |यही तत्व   गंगा नदी को  अमृत बनाते हैं | अर्थात इस तत्व के कारण गंगा नदी का जल कभी भी ख़राब नही होता है |

पुण्यदायनि या मोक्षदयानी  माँ गंगा (Punyadayani or mokshadayani maa ganga) Ganges river providing salvation. गंगा नदी पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित ganga nadee par sanskrt shlok hindee arth sahit Sanskrit sloka on Ganges river with Hindi meaning

पुण्य सलिला, पापनाशनी, मोक्षदयानी, माँ भागीरथी गंगा,  भगीरथ के तपोबल से सम्पूर्ण भूतल के प्राणियों के पाप का  नाश तथा मोक्ष प्रदान करने के लिए इस धरती पर अविरल बह रही है | पुराणों में  पतित पावनी माँ गंगा को सभी जीवों के पाप का नाश करने वाली तथा मोक्ष प्रदान करने वाली कहा गया है-  मोक्षदा सर्वभूतानां महापातकिनामपि।। कू.पु.पू.भा. 35/32

गंगा नदी पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित ganga nadee par sanskrt shlok hindee arth sahit Sanskrit sloka on Ganges river with Hindi meaning

अग्नि पुराण में कहा कहा गया  है कि, इस संसार में जो  मनुष्य  भगवती भागीरथी मां गंगा का दर्शन, स्पर्श, जलपान तथा गंगा इस नाम का उच्चारण करता है, वह  मनुष्य अपने सैकड़ों हजारों पीढ़ियों को पवित्र कर देता है-

 दर्शनात्स्पर्शनात्पानात्तथा गंगेतिकीर्तिनात्।

पुनाति पुण्यं पुरूषाशतशोSथ सहस्रशः।। अ.पु. 110/6

जन्म जन्मांतरों से अर्जित  पाप चाहे अधिक हों या  कम हों, भागीरथी माँ  गंगा के प्रसाद से सब पाप नष्ट हो जाते हैं-

 जन्मजन्मार्जितं पापं स्वल्पं वा यदि वा बहु।

गंगा देवी प्रसादेन सर्वं मे यास्यति क्षयम्।। प.पु. 9/30

महाभारत के वन पर्व में कहा गया है कि, जिस-जिस देश में गंगा नदी (Ganga River)  बहती है, वही उत्तम देश है और वही तपोवन है गंगा नदी  के  समीप जितने भी  स्थान है, उन सबको   सिद्ध क्षेत्र समझना चाहिए।

    यत्र गंगा महाराज स देशस्तत्  तपोवनम्।

 सिद्धिक्षेत्र च तज्ज्ञेयं गंगातीर समाश्रितम्।। मह.वनप. 84/94 

मां गंगा पृथ्वी पर मनुष्यों को तारती है पाताल में नागों को और पृथिवी पर मनुष्यों को  तारती है, इसी के कारण इसको  त्रिपथगा कहा जाता है-

क्षितौ तारयते मर्त्त्यान् नागास्तारयतेSप्यधः।

दिवि तारयते देवास्तेन त्रिपथगा स्मृता।। कू.पु.पु.भाग-35/30

 वाल्मीकि रामायण में भी  गंगा नदी (Ganga River) के जल को परम पवित्र तथा समस्त प्राणियों के पाप का नाश करने वाला बताया गया है | जिसमे कहा गया है कि, विष्णु के चरणों से उत्पन्न, श्री शंकर के सिर पर विराजमान, तथा संपूर्ण पापों को हरने वाला गंगाजल मुझको पवित्र कर दे -

जो व्यक्ति मां गंगा के नाम का उच्चारण करते हुए कुएं के जल से स्नान करता है उसको गंगा नदी (Ganga River) में स्नान करने वाले व्यक्ति के बराबर पुण्य प्राप्त होता है- 

    गंगेतिनाम संस्मृत्य यस्तु कूपजलेSपि च।

करोतिमानवाः स्नानं गंगास्नानफलं लभेत।।प.पु. 7/11

मां गंगा सभी पापों को विनष्ट  करने वाली तथा स्वर्ग लोक प्रदान करने वाली है | पुराणों के अनुसार जब तक पुरुष की हड्डियां गंगा में रहती हैं, उतने सहस्त्र वर्षों तक वह स्वर्ग में पूजित होता है-

यावदस्थीनी गंगायां तिष्ठन्ति षुरूषस्य तु।

तावद् वर्षसहस्राणि स्वर्गलोके महीयते।। कू.पु. 35/31

 मोक्षदायनी माँ गंगा का  नाम सौ योजन  दूरी से भी उच्चारण किए जाने पर जीव के तीनों जन्मों  के संचित पाप  नष्ट हो जाते  है-

  गंगा गंगेति यैर्नाम योजनानां शतेपि।

स्थितैरुच्चारितं हन्ति पापं जन्मत्रयार्जितम्।।वि.पु. 2/8/121

 गंगा नदी (Ganga River) जल में स्नान करने से शीघ्र ही समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अपूर्व पुण्य की प्राप्ति होती है

स्नातस्य सलिले यस्याः सद्यः पापं प्रणश्यति ।

अपूर्वपुण्यप्राप्तिश्च सद्यो मैत्रेय जायते।। वि.पु. 2/8/16

श्रुति कहती है कि भारतवर्ष में मनुष्यों द्वारा उपार्जित करोड़ों जन्मों के पाप गंगा की वायु स्पर्श मात्र से नष्ट हो जाते हैं | भगवती गंगा के दर्शन मात्र एवं स्पर्श करने से दस गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है-

स्पर्शनं दर्शनाद्देव्याः पुण्यं दशगुनां ततः।। श्री.दे.पु. 10/27

पतित पावनी मां गंगा का रंग  श्वेत कमल के समान  स्वच्छ है यह उसी प्रकार  समस्त पापों का उच्छेदन कर देती है- श्वेतपंकजवर्णाभां गंगा पापप्रगाशिनीम्।। श्री.दे.पु. 9/12/1


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