कुम्भ नगरी हरिद्वार कुम्भमेला 2021 Kumbh city Haridwar Kumbhamela 2021 शाही स्नान 2021shahi snaan Royal bath 2021

कुम्भ नगरी हरिद्वार

 पतित पावनी माँ भागीरथी  गंगा के किनारे एवं शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी पर बसा हुआ कुम्भ नगरी हरिद्वार Kumbh city Haridwar  भारत का  ही नही अपितु  सम्पूर्ण विश्व का महातीर्थ-स्थल है | उत्तराखण्ड के जितने भी धार्मिक तीर्थ-स्थल हैं, उन सबका पहला मुख्य द्वार  हरिद्वार ही पड़ता है अर्थात देश-विदेश से जितने भी श्रद्धालु  उत्तराखण्ड के देवी-देवताओं के दर्शन के लिए आते है, उनको  सर्वप्रथम मोक्षदायनी माँ गंगा के दर्शन हरिद्वार में ही होते हैं इसीलिए इसे हरि तक पहुँचने  का द्वार अर्थात हरिद्वार  कहा जाता है |  महाभारत के वनपर्व  में कहा गया हैं कि गंगा-द्वार अर्थात हरिद्वार स्वर्ग-द्वार के सामान हैं-स्वर्गद्वारेण  तत् तुल्यं गंगाद्वारं न संशय:|| 

कुम्भ नगरी हरिद्वार कुम्भमेला  Kumbh city Haridwar Kumbhamela  शाही स्नान shahi snaan Royal bath
Kumbh city Haridwar


हरिद्वार का पौराणिक महत्व haridvaar ka pauraanik mahatv Mythological significance of Haridwar.

 हरिद्वार  के विषय में पुराणों में अनेक आख्यान और उपाख्यान प्राप्त होते हैं| पुराणों में हरिद्वार को माया नगरी, गंगाद्वार, कपिला, कुशाव्रत आदि नामों से भी सम्बोधित किया गया है | पद्मपुराण में हरिद्वार का पौराणिक महत्व haridvaar ka pauraanik mahatv Mythological significance of Haridwar के सम्बन्ध में कहा गया है कि, विष्णुपदी माँ भागीरथी गंगा जब स्वर्ग से भगवान श्रीविष्णु के चरण-कमल से निकल कर हरिद्वार पहुंची, तब पतित पावनी माँ गंगा का यह तीर्थ-स्थल भी  देवताओं के लिए परम पवित्र तीर्थ-स्थल  हो गया-.

हरिद्वारे यदा याता विष्णुपदोदकी तदा |
तदेव तीर्थं  प्रवरं  देवानामपि दुर्लभम् || 
प.पु.उ.२२/१८   

हरिद्वार प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों की तपो-स्थली रही है| भगवान शिव शंकर की पत्नी या राजा दक्ष की पुत्री सती का जन्म भी हरिद्वार के कनखल में ही हुआ था |  पुराणों में हरिद्वार को समस्त पापों का हरण तथा  मोक्ष प्रदान करने वाली पुरी अर्थात नगरी कहा गया है |  सप्तपुरियों  में मायापुरी हरिद्वार की गणना भी की जाती  है-
अयोध्यामथुरामायाकशीकांचीऽवन्तिका |
पुरी  द्वारिका चैव सप्तैते मोक्षदायिका:||

अर्थात  अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), कशी, कांची, अवंतिका और  द्वारिका ये सातपुरियाँ मोक्ष प्रदान करने वाली है | हरिद्वार सभी तीर्थों में परम पवित्र तीर्थ-स्थल है, स्नान ध्यान आदि करने से समस्त पापियों के पाप नष्ट हो जाते है तथा धर्म, अर्थ, कम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों का फल प्राप्त होता है | 

हरिद्वार के तीर्थ-स्थल haridvaar ke teerth sthal, Haridwar shrines. 

 हरिद्वार में  मनसादेवी, चंडीदेवी, कनखल,भारतमाता मंदिर, सप्तऋषि आश्रम,पन्तंजलि योगपीठ, शांतिकुंज आदि अनेक तीर्थ-स्थल या दर्शनीय-स्थल हैं |  हरिद्वार के तीर्थ स्थलों haridwr ke teerth sthal, Haridwar shrines के बारे में पुराणों में कहा गया है कि जो मनुष्य गंगा द्वार अर्थात हर की पैड़ी, कुशावर्त, बिल्केश्वर, निलपर्वत और कनखल में स्नान करता है उसका कभी भी पुनर्जन्म नही होता है -

गंगाद्वारे कुशावर्ते विल्बनिल्पर्वते |

स्नात्वा कनखले तीर्थे पुनर्जन्म न विद्यते || 

हरिद्वार के सभी तीर्थ-स्थलों पर विशेषकर हर की पैड़ी में देश विदेश से लोग आकर के स्नान करते है तथा यहाँ से गंगा जल अपने साथ ले जाते है | यहाँ पर अनेक पर्वों का आयोजन होता रहता है, इनमें से मुख्य महापर्व कुम्भ महापर्व है, जिसका आयोजन प्रत्येक  12 वर्ष के बाद होता है तथा प्रत्येक  6 वर्ष पर अर्ध्द्कुम्भ का आयोजन होता है | 

महाकुम्भ, mahakumbh  कुम्भ मेला Kumbh Mela 

कुम्भ शब्द का सामान्य अर्थ कलश या घड़ा होता है | अमरकोश में कुम्भ शब्द का अर्थ - कुम्भो घटे भामूर्धांशो | अर्थात घड़ा, हाथी गण्डस्थल या एक राशि है | विश्वकोष में भी यही कहा क्स्या है -

कुम्भं स्यात कुम्भ्करस्य सुते वैश्यपतौ घटे| 

रशिभेदो द्विजो  च कुम्भं त्रिवृति..............|| 

कुम्भ का यह सामान्य अर्थ है | अमृत कुम्भ का विशेष अर्थ  है, जो  संसार के अनिष्ट और पापों को नष्ट कर दे वह कुम्भ है - कुम्भूं  कुत्सितं उम्भति |   जो पृथिवी पर स्थित पापों को धोकर उसे हल्का बना दे से कुम्भ कहते है - कुं पृथिवीं उम्भते लध्विक्रियते  पापप्रक्षालनेन येन | कुम्भ  का उल्लेख हमारे प्राचीन धर्म-ग्रंथो में भी मिलता है | अथर्ववेद में कुम्भ शब्द के विषय में कहा गया है कि, क्षीर आदि चार द्रव्यों से पूर्ण कुम्भ चार प्रकार  से चार धाराओ में  पृथिवी पर तुम्हारे पास पहुंचे -

चतुर: कुम्भाश्चतुर्धा ददामि क्षिरेण  पूर्णा उदकेन दध्ना |

एतास्त्वा धारा उपयन्तु सर्वा स्वर्गे लोके मधुमत्

पिन्वमाना उपत्वा तिष्ठन्तु पुष्करिणी समन्ता:|| अथर्ववेद १९/५३/३

पुराणों में कुम्भपर्व की कथा  puraanon mein kumbhparv kee katha, The story of Kumbhaprva in the Puranas.

पुराणों में भी कुम्भ से सम्बंधित  की कथा वर्णित है, जो समुद्र मंथन से जुडी हुयी है | देवासुर संग्राम के समय देवतओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया जिससे 14  रत्नों की प्राप्ति हुयी | वे चौदह रत्न है  -1, कालकूट विष 2. ऐरावत हाथी 3.कामधेनु 4. उच्चै श्रवा अश्व 5. कौस्तुभ मणि 6. कल्प वृक्ष 7. रम्भा 8. लक्ष्मी 9. वारुणी            10. चन्द्रमा 11. सारंग धनुष 12. शंख 13. धन्वन्तरी 14. अमृत कलश |  अमृत कलश की प्राप्ति पर देवताओं और दानवों में उसे प्राप्त करने के लिए बारह दिनों तक संग्राम हुआ | इन बारह दिनों में देवताओं ने जहाँ-जहाँ इस अमृत-कलश को छुपाया था, वहां वहां अमृत की बूंदे गिरी |  इन बारह स्थानों में चार स्थान पृथिवी पर है, जो हरिद्वार,प्रयाग, उज्जैन और नासिक के  नाम से प्रसिद्ध है और इन्ही स्थानों पर महाकुम्भ का आयोजन होता है | देवताओ के 12 दिन मनुष्यों के 12 वर्ष के बराबर होते हैं, इसलिए महाकुम्भ पर्व बारह वर्ष बाद आता है | अमृत-कलश को दानवों के  हाथों में  जाने  से   बचाने में चन्द्रमा, सूर्य, और गुरु या बृहस्पति   का महत्वपूर्ण योगदान था, जिसकारण इन्हीं तीन राशियों की विशिष्ट स्तिथि महाकुम्भ का आयोजन होता है | महाकुम्भ का आयोजन  गृहों  के अनुसार निर्धारित होता है|  गंगाद्वार हरिद्वार में   जब सूर्य मेष राशि पर और बृहस्पति  कुम्भ राशि में होता है, तब कुम्भपर्व का आयोजन होता है-

पद्मनीनायके मेषे कुम्भराशिगते गुरो |
गंगाद्वारे भवेद्योग कुम्भनाम्ना तदोत्तम:||

महाकुम्भ में स्नान का महत्व, mahaakumbh mein snaan ka mahatv, Importance of bathing in Mahakumbh.

महाकुम्भ भारतीय आस्था का प्रतीक है | यह भारतीय संस्कृति को विश्व में प्रतिष्ठित करता है | यूनस्को ने भी महाकुम्भ पर्व को विश्व धरोहर की सूची में समलित किया है| कुम्भपर्व में स्नान का विशेष महत्व है| इस पर्व में गंगा में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है | हरिद्वार में कुभ स्नान का विशेष महत्व है | पुराणों में कहा गया है कि, कुम्भ पर्व पर यदि हरिद्वार में स्नान किया जाए तो एक हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है -
कुम्भयोगे हरिद्वारे स्नाने यत्फलम् |
अश्वमेधसहस्रे  तन्मेवभ्यते भुवि ||

 तथा एक हजार अश्वमेध यज्ञ, एक सौ वाजपेय यज्ञ करने का तथा एक लाख बार भूमि की परिक्रमा करने से जो फल प्राप्त होता है, वह एक बार कुम्भ पर्व में स्नान करने से प्राप्त हो जाता है -

अश्वमेध सहस्रत्राणि वाजपेय शतानि च |

लक्ष्यप्रदक्षिणा भूमे: कुम्भस्नानेन तत्फलम्||


कुम्भ पर्व 2021 में शाही स्नान, kumbh parv 2021 mein shaahee snaan, Royal bath in Kumbh festival 2021. Important dates of Kumbh Mela.

इस समय  कुम्भ महापर्व का पहला स्नान 14 जनवरी 2021 को मकरसक्रांति के दिन  तथा  26 मई  2021 को बैशाखपूर्णिमा के दिन  अंतिम स्नान रहेगा | इसके  मध्य  में  कुल चार शाही स्नान होगे जिनकी तिथि निम्न है -

इसके अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण तिथियाँ  Important dates of Kumbh Mela. इस प्रकार है -
    मकरसंक्रांति 14 जनवरी 
    मौनी अमावस्य  11 फरवरी 
    वसंत पञ्चमी  16 फरवरी
    माघी पूर्णिमा  27 फरवरी
    चैत्र शुक्ल प्रतिपदा  13 अप्रैल 
     श्रीराम नवमी  21  अप्रैल 
    अक्षय तृतीया  14 मई  

कुम्भ मेले  के लिए पजीकरण  kumbh mela ke lie pajeekaran, Registration for Kumbh Mela.

कुम्भ मेला में जाने के लिए यद्यपि पंजीकरण की अनिवार्यता नही है फिर भी आप नीचे दिए गये वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण Registration for Kumbh Mela. करवा सकते है |
Registration for Kumbh Mela- https://www.haridwarkumbhmela2021.com/ 



Other Links

कुम्भ नगरी हरिद्वार कुम्भमेला Kumbh city Haridwar Kumbhamela

भारतीय संस्कृति और सभ्यता

पंचमहाभूत क्या हैं ? संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

राष्ट्र पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित

जल पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित

अज्ञान, Ignorance , संस्कृत सुभाषितानि हिंदी अर्थ सहित

गंगा नदी (Ganga River) संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित

जिंदगी क्या है?संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित

महाभारत में धर्म संस्कृत श्लोक, हिंदी अर्थ सहित

संस्कृत भाषायाः महत्त्वम्

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post