१. अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवातात्मा हिमालयो नाम नगाधिराजः।पूर्वापरौ तयोनिधि वगाह्य स्थितः पृथिव्या इव मानदण्डः।।१॥ कुमारसम्भवम्/०१/०१
उत्तर दिशा में देवतात्मा नगाधिराज हिमालय स्थित है जो पूर्व से पश्चिम तक फैला, समुद्र का अवगाहन करता हुआ ऐसा लगता है मानो पृथवी का मानदण्ड हो |
२. तदेतत्परमम् बह्म द्रवरुपं महेश्वरि।गंगाख्यं यत्पुण्यतमं पृथिव्यामागतं शिवे।।गतां गतेति ततो गंगा नाम तस्या बभूव ह...। केदारखण्ड/०२/०१-०२
हे महेश्वरी! उस परम ब्रह्म का द्रव्य रूप अत्यन्त पवित्र गंगा नाम है जो पृथ्वी पर प्राप्त है । गां गता (पृथ्वी पर पहुंची) इस कारण उसका नाम गंगा पड़ा।
Very nice view of river and mountains Jay devbhoomi uttarakhand 🙏 🙏🙏 🙏
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों में वर्णित यह प्यारा दृश्य अत्यन्त मनमोहक है
Nice sir ji 🙏🙏🙏
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ReplyDeleteसुन्दर शब्दों में वर्णित यह प्यारा दृश्य अत्यन्त मनमोहक है
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